नई दिल्ली, चांद पर रहने के लिए वैज्ञानिक कई तरह की खोज कर रहे हैं। अमेरिका की फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐतिहासिक कारनामा कर दिखाया है. दरअसल, अब वैज्ञानिकों ने पहली बार चांद की मिट्टी में पौधे उगाने में कामयाबी हासिल की है। कुछ समय पहले ही यह मिट्टी NASA के अपोलो मिशन्स […]
नई दिल्ली, चांद पर रहने के लिए वैज्ञानिक कई तरह की खोज कर रहे हैं। अमेरिका की फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐतिहासिक कारनामा कर दिखाया है. दरअसल, अब वैज्ञानिकों ने पहली बार चांद की मिट्टी में पौधे उगाने में कामयाबी हासिल की है। कुछ समय पहले ही यह मिट्टी NASA के अपोलो मिशन्स के अंतरिक्ष यात्री अपने साथ लेकर लौटे थे।
कम्युनिकेशन्स बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने कहा कि सिर्फ पृथ्वी की मिट्टी पर ही नहीं बल्कि अंतरिक्ष से लाए गए मिट्टी में भी पौधे उग सकते हैं। वैज्ञानिकों ने चांद की मिट्टी के प्रति पौधों की बायोलॉजिकल प्रतिक्रिया भी जांच की। बता दें कि यह पहला कदम है जब चांद पर खाने और ऑक्सिजन के लिए खेती करनी संभव हो सकेगी.
फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एना-लिसा पॉल ने कहा कि इस एक्सपेरिमेंट से पहले भी चांद की मिट्टी में पौधे उगाने की कोशिश की गई है लेकिन उस समय चांद की मिट्टी को केवल छिड़का गया था। इस रिसर्च में चांद की मिट्टी में ही पौधे को पूरी तरह उगाया गया है। रिसर्चर्स ने पौधे उगाने के लिए 4 प्लेट्स का प्रयोग किया है. इसमें पानी के साथ ऐसे न्यूट्रिएंट्स को प्रयोग में लाया गया है जो चांद की मिट्टी में नहीं होती है और सॉल्यूशन में आर्बिडोप्सिस पौधे के बीज डाले गए। कुछ ही दिनों में बीजों ने छोटे से पौधे का रूप धारण कर लिया।
NASA के अपोलो मिशन के 6 अंतरिक्ष यात्री द्वारा 382 किलोग्राम पत्थर चांद से धरती पर लेकर लौटे थे। इन पत्थरों को अलग-अलग वैज्ञानिकों में बांट दिया गया था। फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रॉबर्ट फेरी के अनुसार 11 साल में 3 बार एप्लीकेशन देने के बाद उन्हें NASA से सिर्फ 12 ग्राम मिट्टी दी गई. इतनी कम मिट्टी के साथ काम करना काफी मुश्किल था लेकिन पौधे उगाने में कामयाबी हासिल कर ली गई है. यह मिट्टी अपोलो 11, 12 और 17 मिशन्स के दौरान लाई गई थी।