SC Grants Bail To Journalist Prashant Kanojia: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को तगड़ा झटका देते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ पर कथित तौर पर आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया को जमानत पर तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है. प्रशांत की पत्नी जिगिशा ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कॉर्पस याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले बीजेपी नेता प्रियंका शर्मा को भी तब रिहा करने का आदेश दिया था जब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर टिप्पणी करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया को जमानत देते हुए तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है और यूपी सरकार से बड़ा दिल दिखाने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत कनौजिया के सोशल मीडिया पोस्ट और उसमें लिखी गई बातों को सही ना मानते हुए भी उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया कि इस चीज के लिए गिरफ्तारी कैसे हो सकती है. कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि वो कोर्ट को संतुष्ट करे कि किस धारा के तहत प्रशांत कनौजिया को क्यों गिरफ्तार किया गया. सप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जांच में दखल नही दे रहे और ना केस खारिज कर रहे हैं लेकिन प्रशांत कनौजिया को तुरंत रिहा किया जाए क्योंकि उसे संविधान में मिले अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत की शर्त निचली अदालत तय करेगी. पत्रकार की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रशांत की पत्नी जिगिशा ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका यानी हेबियस कॉर्पस पेटिशन लगाई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की वेकेशन बेंच ने सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि किन धाराओं के तहत गिरफ्तारी हुई. कोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करना सही नहीं था लेकिन इसको लेकर गिरफ्तारी कैसे हुई. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कहा कि गया कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के बदले इलाहाबाद हाईकोर्ट में होनी चाहिए. उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि प्रशांत कनौजिया ने केवल आपत्तिजनक पोस्ट ही नहीं किया बल्कि इससे पहले जाति को लेकर भी कमेंट कर चुका है. इस पर कोर्ट ने कहा कि संविधान आजादी के अधिकार की गारंटी देता है और कोर्ट अपनी अंतरात्मा को रोक कर ये नहीं कह सकता कि आप हाईकोर्ट जाइए. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत कनौजिया पर हजरतगंज थाने की पुलिस द्वारा दायर केस को खारिज नहीं किया है लेकिन उन्हें जमानत पर तुरंत छोड़ने का आदेश दिया है. मतलब जमानत पर छूटकर प्रशांत कनौजिया को यूपी पुलिस के इस केस का मुकदमा लड़ना होगा.
प्रशांत की पत्नी जिगिशा ने गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके गिरफ्तारी को गैरकानूनी ठहराया था. उनका कहना था कि प्रशांत को दिल्ली से गिरफ्तार करते वक्त यूपी पुलिस ने किसी नियम का पालन नहीं किया. प्रशांत को गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में किसी मजिस्ट्रेट के पास पेश करने के बदले सीधे यूपी पुलिस लखनऊ लेकर चली गई. बता दें कि प्रशांत के अलावा नोएडा से एक समाचार चैनल के संपादक अनुज शुक्ला और चैनल हेड इशिता सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था जो उसी वीडियो के आधार पर चैनल पर शो कर रहे थे जिसे प्रशांत ने शेयर करते हुए टिप्पणी की थी.
Supreme Court orders immediate release of freelance journalist, Prashant Kanojia who was arrested by UP Police for 'defamatory video' on UP Chief Minister. pic.twitter.com/OTr47uEVSu
— ANI (@ANI) June 11, 2019
गौरतलब है कि नेताओं पर विवादित टिप्पणी करने पर सोशल मीडिया यूजर्स की गिरफ्तारी के मामले भारत में बढ़ते जा रहे हैं. हाल ही में बीजेपी की कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ टिप्पणी कर दी थी जिसके बाद उन्हें जेल में डाल दिया गया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था जहां से प्रियंका शर्मा को राहत मिली थी. बीजेपी ने इस दौरान ममता बनर्जी को तानाशाह और न जाने किन-किन खिताबों से नवाज दिया था. अब योगी आदित्यनाथ के मामले में लगातार पत्रकारों पर हो रही कार्रवाई यहीं दर्शाती है कि राजनेता अब अपने खिलाफ कुछ सुनने की सहनशक्ति खो चुके हैं. वहीं पत्रकारों से तो यह अपेक्षा की ही जा सकती है कि वह मजाक और उपहास/अपमान में फर्क को समझें.