नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक छात्रा के गर्भ गिराने पर अहम फैसला सुनाया है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने 20 वर्षीया छात्रा को सलाह दी है कि वह अपने 29 हफ्ते के गर्भ का अबॉर्शन न करे। सुप्रीम कोर्ट ने एम्स की रिपोर्ट के बाद इस स्टेज पर अनचाहे गर्भ को खत्म नहीं करने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में एम्स और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से बच्ची की सुरक्षित डिलीवरी सुनिश्चित करने को कहा है। एम्स और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय यह भी सुनिश्चित करेगा कि बच्ची को स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी न हो।
आपको बता दें, एक 20 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा ने कहा कि उसे 7 महीने बाद पता चला कि वह गर्भवती है। उसकी अभी शादी नहीं हुई है, इसलिए वह अबॉर्शन कराना चाहती है। इस मामले में कोर्ट ने एम्स को एक रिपोर्ट पेश करने को कहा था जिसमें कहा गया था कि इस स्थिति में अबॉर्शन सही नहीं है। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जन्म के बाद बच्चे को इच्छुक माता-पिता के पास छोड़ दिया जाएगा, जहाँ वे उसकी अच्छे से परवरिश कर सकें।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि एक परिवार बच्चे को गोद लेने के लिए राजी हो गया है।इस दौरान परिवार बच्चे की देखभाल करने में भी सक्षम बताया जा रहा है। इस पूरे मामले में एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने दूसरी अटॉर्नी जनरल ऐश्वर्या भाटी को बच्ची पीड़िता से बात करने को कहा था। उसने छात्रा से बात की, जिसके बाद वह बच्चे को जन्म देने को तैयार हो गई।
मिली जानकरी के मुताबिक, सुनवाई के दौरान कहा गया कि सामाजिक दबाव व लोकलाज के चलते लड़की के परिजन उसे अपनाने को तैयार नहीं हैं। वहीं, लड़की के वकील ने यह भी कहा कि छात्रा कई मानसिक समस्याओं का सामना कर रही है। इस पर एएसजी भाटी ने कहा कि वह भी बच्ची को अपने घर में रखने को तैयार हैं।
गर्भपात को लेकर देश में Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971) लागू है, जिसके तहत कानून ने 20 सप्ताह तक के गर्भ के गर्भपात की अनुमति देता था। लेकिन 2021 में इसे बदल दिया गया और अब कानून 24 गर्भधारण तक गर्भपात की अनुमति देता है। लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि गर्भपात से महिला को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही कानून में यह भी बताने का प्रावधान है कि अविवाहित लड़कियों के लिए 24 हफ्ते के गर्भ के बाद अबॉर्शन क्यों जरूरी हो गया है और भ्रूण नॉर्मल न होने पर भी कोर्ट अबॉर्शन की इजाजत देता है।
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