मोदी सरकार द्वारा दलित एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के लिए लोकसभा में पेश किए विधेयक को मंजूरी मिल गई है. अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. अगर वहां से भी पास हुआ तो फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा.
नई दिल्ली. दलित समुदाय की नाराजगी के बाद केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाया जा रहा SC/ST एक्ट संशोधन विधेयक लोकसभा में पास हो गया है. SC/ST एक्ट संशोधन विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया था. इस संशोधन विधेयक में तीन प्रावधान किए गए हैं. पहला प्रावधान है कि दलित उत्पीड़न के मामलें में एफआईआर बगैर जांच के ही हो जाएगी. दूसरा संशोधन है कि केस दर्ज होते ही आरोपी की गिरफ्तारी होगी. तीसरा, आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी.
बता दें कि 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट 1989 के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. अपना फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा था कि सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित समुदाय में नाराजगी थी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरोध में और मोदी सरकार पर दोबारा से एससी/एसटी एक्ट में कड़ाई बनाने के लिए दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था. इस भारत बंद के दौरान देशभर में दलितों ने प्रदर्शन किया था. इसमें हजारों दलितों की गिरफ्तारी भी हुई.
2 अप्रैल की घटना के बाद बीजेपी में शामिल दलित नेताओं पर भी समुदाय का प्रेशर था. एनडीए में शामिल और बीजेपी के भी दलित सांसदों ने पिछले महीने राम विलास पासवान के घर बैठक बुलाकर संशोधन विधेयक लाकर दलित उत्पीड़न रोकने के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने की मांग की थी. इसके साथ ही बीजेपी के ही दलित संगठनों ने 9 अगस्त को भारत बंद बुलाया था. इससे पहले ही मोदी सरकार ने इस बिल पर काम शुरू कर दिया है.
दलित महिला अधिकारी को पानी न देने पर ग्राम विकास अधिकारी समेत 6 लोगों के खिलाफ SC/ST एक्ट में FIR
SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन बताया गलत