लाजपत नगर बम ब्लास्ट केस में SC ने 4 आरोपियों को आजीवन कारावास सुनाई सजा, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की मशहूर लाजपत नगर मार्केट में बम धमाके के केस में सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई है. अदालत की ओर से 4 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. जिन्होंने इस बम ब्लास्ट की भयानक घटना को अंजाम दिया और साथ ही भारत के खिलाफ साजिश रचने का काम […]

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लाजपत नगर बम ब्लास्ट केस में SC ने 4 आरोपियों को आजीवन कारावास सुनाई सजा, जानें पूरा मामला

Noreen Ahmed

  • July 7, 2023 9:59 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली की मशहूर लाजपत नगर मार्केट में बम धमाके के केस में सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुनाई है. अदालत की ओर से 4 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. जिन्होंने इस बम ब्लास्ट की भयानक घटना को अंजाम दिया और साथ ही भारत के खिलाफ साजिश रचने का काम किया. लाजपत नगर में हुए विस्फोट में 13 लोगों की मौत और 38 लोग घायल हुए थे. इस बम ब्लास्ट की घटना के 27 साल बाद अदालत ने दोषियों को सजा सुनाई है. वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से आरोपियों को मौत की सजा देने की मांग की गई थी.

4 आरोपियों को सुनाई गई सजा

इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दोनों तरफ से दलीलें रखी गईं, मौत की सजा की मांग पर सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और फिर आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 21 मई, साल 1996 को हुए बम ब्लास्ट में कई निर्दोष लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने अपने 190 पेज के निर्णय में 4 आरोपियों- मोहम्मद नौशाद, मोहम्मद अली भट्ट उर्फ ​​किल्ली, मिर्जा निसार हुसैन उर्फ ​​नाजा और जावेद अहमद खान को फांसी की सजा से राहत देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

बता दें कि इस केस में 27 साल का समय लगा, अदालत में तकरीबन 14 साल तक ट्रायल पूरा नहीं हो पाया. जिसका तर्क देते हुए अदालत ने फांसी की सजा सुनाने की जगह दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुना दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आरोपी अगर जमानत पर हैं, तो हैं संबंधित कोर्ट के समक्ष तुरंत आत्मसमर्पण करें. साथ ही उनके जमानत बांड रद्द कर दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस बीच ट्रायल में हुई देरी को लेकर भी नाराजगी जताई. वहीं कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों की जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए, खासतौर पर जब ये आम आदमी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हो.

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