नई दिल्ली: बुधवार (5 अप्रैल) को विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है जहां विपक्ष के 14 दलों द्वारा “मनमाने उपयोग” मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करने से शीर्ष अदालत ने इनकार कर दिया है. इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पर निशाना […]
नई दिल्ली: बुधवार (5 अप्रैल) को विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है जहां विपक्ष के 14 दलों द्वारा “मनमाने उपयोग” मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करने से शीर्ष अदालत ने इनकार कर दिया है. इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने विपक्ष खासकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनका पर्दाफाश हो गया है. कांग्रेस भ्रष्टाचारियों का नेतृत्व कर रही है.
#WATCH | They have been exposed. Congress is leading the corrupts. Investigative agencies have rights to take action against corrupts: Union Min Anurag Thakur on SC refuses to entertain the plea filed by 14 opposition parties alleging “arbitrary use” of central probe agencies https://t.co/339yXN6zHl pic.twitter.com/sJOIaY3dQb
— ANI (@ANI) April 5, 2023
पत्रकारों से अनुराग ठाकुर ने कहा कि ‘उनका(विपक्ष का) पर्दाफाश हो गया है, कांग्रेस भ्रष्टाचारियों का नेतृत्व कर रही है. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का जांच एजेंसियों को पूरा अधिकार है. आगे केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, ये लोग भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आते. एक मंच पर सभी भ्रष्टाचारी आने की कोशिश करते हैं. जनता में भी इनका चेहरा बेनकाब हुआ है और कोर्ट में भी असलियत जानने का मौका मिला है. कांग्रेस भ्रष्टाचार का नेतृत्व कर रही है. दुख तो इस बात का है कि जांच में सहयोग करने के बजाय बहाने बनाकर इनके द्वारा कोर्ट में मामले को लटकाने का प्रयास किया जाता है.
इस मामले को लेकर कोर्ट ने दो टूक कहा है की देश में नेताओं के लिए अलग से नियम नहीं बनाए जा सकते हैं. इस तरह से इस याचिका पर सुनवाई संभव ही नहीं है. दूसरी ओर विपक्ष की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि आंकड़े बताते हैं कि 885 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गई थी लेकिन केवल 23 में ही सजा हुई. 2004 से 2014 तक आधी अधूरी जांच हुई हुई है. साथ ही ये भी तर्क दिया गया है कि 2014 से 2022 के बीच ईडी ने जिन 121 राजनीतिक नेताओं की जांच की गई है, उनमें से 95% विपक्ष से हैं.
सीजेआई जस्टिस डी वाई चंद्रचूड ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि ये एक या दो पीड़ित व्यक्तियों की दलील नहीं है बल्कि 14 राजनीतिक दलों की दलील है. क्या आंकड़ों के आधार पर हम कुछ कह सकते हैं कि जांच में किस तरह की छूट होनी चाहिए? ये आंकड़ें अपनी जगह सही हैं लेकिन क्या राजनेताओं के पास जांच से बचने का भी कोई विशेष अधिकार होना चाहिए? आखिरकार वह भी देश के ही नागरिक हैं.
जानकारी के लिए बता दें, 14 विपक्षी दलों ने 24 मार्च को सर्वोच्च न्यायलय में ED और CBI की कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर की थी. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, जनता दल यूनाइटेड, भारत राष्ट्र समिति, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव) नेशनल कॉन्फ्रेंस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी सीपीआई, सीपीएम, डीएमके इस याचिका को पेश करने वाली पार्टियों में शामिल हैं. सभी दलों का तर्क है कि देश में लोकतंत्र खतरे में हैं और केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरूपयोग कर रही है. गैर-बीजेपी सियासी दलों पर गलत तरीके से कार्रवाई की जा रही है. इसमें पीएम मोदी पर विपक्ष के नेताओं ने CBI और ED का गलत इस्तेमाल होने का आरोप लगाया था.