नई दिल्ली/पटना: बिहार में सरकार द्वारा जारी किए गए जातिगत सर्वे के आंकड़ों पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने जातीय सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी.
मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हम किसी भी राज्य सरकार को नीति बनाने से नहीं रोक सकते हैं. हम उनके कार्यों की समीक्षा जरूर कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने इस पर विस्तृत आदेश पारित किया है. हमें भी इसे विस्तार से सुनना होगा. बिहार सरकार की भी बात सही है कि सरकारी योजनाओं के लिए आंकड़े जुटाना काफी जरूरी होता है. हम इस मामले में सभी पक्षों को सुनना पसंद करेंगे.
इससे पहले सोमवार को बिहार में राज्य सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की आबादी करीब 13 करोड़ है. जिसमें 81.99 फीसदी हिंदू और 17.7 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इसके साथ ही ईसाई 0.5 और सिख 0.011 फीसदी हैं.
जातियों की बात करें तो अत्यंत पिछड़ा 36 फीसदी, पिछड़ा वर्ग 27 फीसदी, अनुसूचित जाति 19 फीसदी और अनुसूचित जनजाति 1.68 फीसदी हैं. बिहार सरकार के विकास आयुक्त विवेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये आंकड़े पेश किए हैं. जाति आधारित जनगणना में राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई है.
विकास आयुक्त विवेक सिंह ने बताया कि बिहार में सवर्णों की तादाद 15.52 फीसदी, भूमिहार की 2.86 फीसदी, ब्राह्मण 3.66 फीसदी, कुर्मी 2.87 फीसदी, मुसहर 3 फीसदी हैं. इसके साथ ही यादवों की तादाद 14 फीसदी और राजपूतों की 3.45 फीसदी है.
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