नई दिल्ली, अग्निपथ योजना के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में भी दूसरी याचिका दाखिल हो गई है. जहां इस जनहित याचिका में केंद्र सरकार की इस योजना को रद्द करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने इस योजना को असंवैधानिक और गैर कानूनी बताया है. संसद की मंजूरी के बिना लाइ गई इस योजना […]
नई दिल्ली, अग्निपथ योजना के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट में भी दूसरी याचिका दाखिल हो गई है. जहां इस जनहित याचिका में केंद्र सरकार की इस योजना को रद्द करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने इस योजना को असंवैधानिक और गैर कानूनी बताया है. संसद की मंजूरी के बिना लाइ गई इस योजना को लेकर आपत्ति जताई गई है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस योजना को रद्द करे ऐसी मांग है. जानकारी के अनुसार यह अर्ज़ी वकील एमएल शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में यह दाखिल की गई है.
बता दें, अग्निपथ योजना के तहत केंद्र सरकार देश भर के युवाओं को चार साल के लिए भर्ती करेगी लेकिन किसी को पेंशन या ग्रेजुएटी नहीं मिलेगी. सैनिकों को मिलने वाली कैंटीन की सुविधा भी नहीं दी जाएगी. साथ ही चार साल की सेवा खत्म होने पर बतौर सेवा निधि करीब 12 लाख रुपये अग्निवीरों को दिए जाएंगे. इस राशि परइनकम टैक्स नहीं लगेगा.
देश भर के कई राज्यों में केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इस कड़ी में कई शहरों में प्रदर्शनकारी सरकारी संपत्ति को नुकसान भी पहुंचा रहे हैं. अब इस हिंसा की आंच सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच चुकी है. जहां दिल्ली के एडवोकेट विशाल तिवारी ने हिंसाल प्रदर्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसआईटी टीम के गठन की मांग की है. दूसरी ओर योजना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी के गठन की भी मांग याचिका में की गई है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार एडवोकेट ने अपनी याचिका में तीन मांग की है, जिसमें अदालत को आदेश देने के लिए कहा गया है कि केंद्र हिंसा को लेकर एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे, राज्यों को दावा कमिश्नर नियुक्ति की जाए जो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले दोषियों से दावा वसूलने करें, साथ ही इस योजना के राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना पर पड़ने वाले असर के आकलन के लिए भी एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने की मांग है.
यह भी पढ़ें :