नई दिल्ली: सभी धर्मों में समान तलाक की व्यवस्था की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अब इनकार कर दिया है. बुधवार (29 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट ने बच्चा गोद लेने, वसीयत के नियम जैसे प्रावधानों को भी सभी धर्मों के लिए एक जैसा बनाने वाली याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है. CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संसद का अधिकार है कि कानून बनाए हम केवल इस पर आदेश दे सकते हैं.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समाज में प्रचलित तलाक-ए-हसन को चुनौती देने वाली याचिका को मामले से अलग कर दिया है. इस मांग पर याचिका दायर करने वाली पीड़िता बेनजीर की अलग से सुनवाई होगी. दरअसल इस व्यवस्था में पति 1-1 महीने के अंतर पर तीन बार तलाक-तलाक बोलकर रिश्ता ख़त्म कर सकता है. इसे ही लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है. जिस पर बेंच अब अलग से सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कपिल सिब्बल ने समान नागरिक संहिता के अलग-अलग पहलुओं को लेकर दाखिल होने वाली जनहित याचिका पर विरोध जताया था. उन्होंने कहा था कि विवाह, तलाक और संरक्षक ये ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को विचार करना चाहिए ना कि ये मुद्दे कोर्ट के विचार करने के लिए बने हैं.
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