SC on Child Sexual Harassment: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बच्चों के साथ बढ़ रहे यौन उत्पीड़न के मामले में आज सुनवाई करते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश के हर जिले में विशेष पोक्सो कोर्ट बनाएगी जहां 100 से ज्यादा पोक्सो मामले लंबित हैं. इन अदालतों के लिए फंड केंद्र सरकार देगी. केंद्र सरकार 60 दिन में ये कोर्ट बनाएगी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए आंकड़ों के आधार पर मामला दर्ज किया था. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने की है.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों को लेकर चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर आज 25 जुलाई को सुनवाई की और सुनवाई में बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि केंद्र सरकार देश के हर जिले में विशेष पोक्सो कोर्ट बनाएगी जहां 100 से ज्यादा पोक्सो मामले लंबित हैं. इन अदालतों के लिए फंड केंद्र सरकार देगी. केंद्र सरकार 60 दिन में ये कोर्ट बनाएगी. सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि बच्चों से यौन उत्पीड़न के मामले में जांच, मामले की सुनवाई और केस के जल्द निपटारे को लेकर चिंतित है. सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस (न्यायमित्र) से पूछा आखिर बच्चों से यौन उत्पीड़न के मामले में जांच और केस के ट्रायल के पीछे क्या ड्रॉ बैक है? इस मामले में सुनवाई करते हुए सीजेआई ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा अभी तक प्रदेश में पॉक्सो एक्ट को क्यों नही लागू किया गया है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर इस मामले में एसजी कोर्ट में पेश क्यों नही हुए? एमिकस ने कहा कि दिल्ली की साकेत कोर्ट में बच्चों से संबंधित यौन उत्पीड़न को लेकर दो अदालतों के गठन हो सकता है. बच्चों के लिए फ्रेंडली माहौल बनाया जा सकता है. आर्किटेक्चर में भी बच्चों के हिसाब से बदलाव किया जा सकता है, जेजे एक्ट और पॉस्को एक्ट में इसका प्रावधान है.
एमिकस ने कोर्ट को बताया कि अधिकतर राज्यों में बाल यौन शोषण की जांच और सजा के लिए आधारभूत कानूनी प्रवधान और ढांचा ही नहीं है. शिक्षा के जरिए इसे ज़्यादा संवेदनशील बनाया जा सकता है. स्कूलों में काउंसलर और विशेषज्ञों की बच्चों और उनके अभिभावकों, शिक्षकों के साथ नियमित मीटिंग कराई जा सकती है. ताकि ऐसे मामलों की समय रहते रिपोर्ट हो सके. सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पॉस्को स्पेशल कोर्ट का गठन नहीं हुआ. केवल एक जज होता है और आप उनपर काम का बोझ डाल देते हैं और कहते हैं कि ट्रायल में देरी हो रही है. संसद संसोधन पास करता है, मीडिया में बयानबाजी होती है लेकिन जमीनी हकीकत पर कुछ नहीं होता.
SC directs Centre to fund set-up special POCSO courts in every district where 100 or more cases under POCSO Act are pending. The special courts,to try cases of sexual assault on children,to start functioning within 60 days. Court asks Centre to file progress report in 4 weeks pic.twitter.com/CIxAgOmQts
— ANI (@ANI) July 25, 2019
सीजेआई ने एमिकस से पूछा पूरे देश में जिले के हिसाब से पॉस्को के अंतर्गत कितने मामले दर्ज है इसकी जानकारी है? एमिकस ने कहा हर जिले में नंबर अलग अलग है लेकिन हर जिले में एवरेज 250 है. यानी देश भर के हर जिले में एक साल में 250 मामले बच्चों से यौन उत्पीड़न के दर्ज होते हैं. एमिकस ने कहा डीएनए टेस्ट लैब ज्यादातर जिलों में नहीं है. कई मामलों में तो ऐसा होता है कि एफएसएल ये कहता है कि सैंपल डैमेज हो चुका है लिहाजा इसकी जांच नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली मॉडल के मुताबिक चाइल्ड विटनेस कोर्टरूम की तर्ज पर पर देश भर में ऐसी व्यवस्था की जा सकती है. क्योंकि देश के कई राज्यों में मुख्य कोर्टरूम के ही एक हिस्से में पर्दा डालकर चाइल्ड विटनेस रूम बना लिया जाता है. कई जगह तो पर्दा भी नहीं होता. ये कानून का मखौल है.
कोर्ट ने हिमाचल, त्रिपुरा, ओडिशा में क्या हो रहा है? सरकारें क्या कर रही हैं वहां? मध्यप्रदेश तक मे पर्दा प्रथा की तरह अदालतों में बाल यौन उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई, गवाही होती है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट में एमिकस से कहा कि यौन उत्पीड़न के बच्चों को ट्रॉमा से बाहर निकालने के लिए कॉउंसलिंग की जरूरत होती है. मुजफ्फरपुर मामले में हमने एनआईएमएचएएनएस को कहा था लेकिन हर केस में ऐसा नहीं कर सकते. ऐसे में बच्चों को सपोर्ट के लिए कुछ करना होगा. सपोर्ट सरकार की तरफ से आना चाहिए. अगर आपने एक्ट बनाया है तो उसे लागू करना होगा. एमिकस ने कोर्ट में कहा कि पोस्को एक्ट के मुताबिक इस तरह के मामलों स्पेशल पब्लिल प्रोसिक्यूटर होना चाहिए. जो अब तक नहीं हुआ. सीजेआई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मर्डर और यौन उत्पीड़न के मामले में एक ही वकील नहीं सकता. वकील को ट्रेंड होना चहिये.
सीजेआई ने कहा कि मौजूदा समय मे इस बाबत बहुत से सुधार करने की ज़रूरत है. अमाइकस वी गिरी ने इस बाल यौन उत्पीड़न के प्रति लोगों और बच्चों को ज़्यादा संवेदनशील बनाने के लिए कई सुझाव भी दिए. स्कूलों और सभी प्रमुख जगहों पर चाइल्ड हेल्पलाइन के नम्बर भी प्रदर्शित किए जाएं. इन मामलों के जल्दी और सटीक सुनवाई के लिए डेडिकेटेड पब्लिक प्रोसिक्यूटर की नियुक्तियां की जाएं, क्योंकि पोक्सो एक्ट के मामलों और किसी अन्य हत्या या हमले की सुनवाई में अंतर होता है. तकनीक, संवेदना और समझ का अंतर. सीजेआई ने कहा, राज्य सरकारें इस बाबत फौरन समुचित उपाय कर हमें सूचित करें.
एनएएलएसए की ओर से पेश वकील ने कहा कि डेडिकेटेड कोर्ट का तो ये हाल है कि यहां दिल्ली में ही पॉक्सो एक्ट के तहत मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट में मकोका मामलों की सुनवाई हो रही थी. कोर्ट ने इस पर भी हैरानी जताई. सीजेआई ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार ठीक तरीके से पोस्को एक्ट लागू नहीं कर रही है. एनएएलएसए ने कोर्ट में कहा कि अभी जिस तरह से मामले की सुनवाई चल रही है पॉक्सो को लेकर देश भर के अदालतों मैं ऐसे में सभी केसों के निपटारे में 6 साल का समय लगेगा. एनएएलएसए ने सुझाव दिया कि देश में 600 अदालतें चहिए जो केवल बच्चों से यौन उत्पीड़न के मामलों को देखें. लॉ मिनिस्ट्री, डब्ल्यूसीडी मंत्रलय ने देश भर में 1,024 विशेष अदालतों के गंठन की मांग की है. जो केवल बच्चों से यौन उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के अंत में बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि केंद्र सरकार देश के हर जिले में विशेष पोक्सो कोर्ट बनाएगी जहां 100 से ज्यादा पोक्सो मामले लंबित हैं. इन अदालतों के लिए फंड केंद्र सरकार देगी. केंद्र सरकार 60 दिन में ये कोर्ट बनाएगी.
बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में अब देश भर के सिनेमाघरों में दिखाई जाएगी छोटी सी क्लिप
बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में अब देश भर के सिनेमाघरों में छोटी सी क्लिप दिखाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट का आदेश समाज मे बच्चो के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में जागरूता लाने के लिए है . सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न टेलीविजन चैनलों पर भी नियमित क्लिप दिखाने को कहा है. साथ ही इनमें चाइल्ड हेल्पलाइन देने और स्कूलों आदि प्रमुख स्थानों पर इसकी जागरूकता फैलाने को कहा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट देश भर में बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न का मामले स्वतः सज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रहा है.