SC Notices Meghalaya HC: मेघालय हाई कोर्ट के जज एस आर सेन ने पिछले साल दिसंबर में एक केस के फैसले में लिखा था कि विभाजन के समय भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था, लेकिन ये धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहा. इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि अगर ऐसा लगता है कि मेघायल हाई कोर्ट का यह बयान डिलीट होना चाहिए, तो वह इस मामले की जांच को तैयार है.
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मेघायल हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को उस मामले में नोटिस भेजा है, जिसमें मेघायल हाई कोर्ट के एक जज ने कहा था कि आजादी से समय भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर ऐसा लगता है कि मेघायल हाई कोर्ट का यह बयान डिलीट होना चाहिए, तो वह इस मामले की जांच को तैयार है.
मेघालय हाई कोर्ट के जज एस आर सेन ने कहा था- मैं ये स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत को इस्लामिक देश बनाने की कोई कोई कोशिश भी ना करे, वरना वो दिन भारत और दुनिया के लिए कयामत का दिन होगा. मुझे पूरा भरोसा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सिर्फ बीजेपी सरकार इस बात को समझेगी और जरूरी कदम उठाएगी.
मालूम हो कि पिछले साल दिसंबर में बार एंड बेंच की खबर आई थी, जिसके मुताबिक मेघालय हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा था कि विभाजन के समय भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए था, लेकिन ये धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना रहा. असम में चल रही एनआरसी की प्रक्रिया के बीच मेघालय हाई कोर्ट के जज एस आर सेन ने कहा था कि विदेशी भारत आकर भारत के नागरिक बन जाते हैं जबकि भारतीय मूल के लोग दरबदर भटकरने को मजबूर हैं.
मेघालय हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपील की थी कि वो ऐसा कानून बनाएं, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, क्रिश्चन, खसीस, जयंतिया और गारो लोगों को भारत में बिना किसी सवाल या कागजात के रहने की अनुमति दी जाए. जस्टिस सेन ने सॉलीसिटर जनरल ए पॉल को आदेश दिया था कि वो इस जजमेंट की कॉपी प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय भेजें और जनहित का ध्यान रखते हुए जरूरी कदम उठाएं.