SC issues Notice to Election Commission: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है. ये नोटिस राजनीतिक पार्टियों और नेताओं द्वारा धर्म और जाति पर टिप्पणी करने के मामले में है. चुनाव आयोग से आचार संहिता के दायरे को लेकर जवाब मांगा है.
नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग बेहद सख्त हो गया है. हालांकि कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्ती दिखाई है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. ये नोटिस नेताओं के भाषण को लेकर जारी किया गया है. राजनीतिक दलों के धर्म व जाति संबंधित भाषणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को ये नोटिस जारी किया है.
इस याचिका में मांग की गई है कि अगर किसी पार्टी के प्रतिनिधि या प्रवक्ता मीडिया में धर्म या जाति से संबंधित टिप्पणी करते हैं तो उनपर सख्त कार्रवाई की जाए. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 15 अप्रैल तक चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं को भी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम या चुनावी आचार संहिता के दायरे में लाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
एनआरआई हरप्रीत मनसुखानी ने याचिका दाखिल कर कोर्ट से प्रार्थना की है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में समिति बने और विस्तृत गाइडलाइन तैयार करें. याचिका के मुताबिक अभी पार्टियों के प्रवक्ताओं के बयान चुनाव और जनमत को सबसे ज़्यादा प्रभावित करते हैं लेकिन वो न तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत जिम्मेदार हैं और ना ही आचार संहिता के तहत. कोर्ट इन्हें भी इनके तहत लाने का इंतज़ाम करें.
दरअसल नेता लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान धर्म और जाति संबंधित भाषण दे रहे हैं. लगभग सभी पार्टियों और कई दिग्गज नेताओं पर ये आरोप लगे हैं कि वो चुनाव के लिए धर्म और जाति पर राजनीति कर रहे हैं. भाषण में दूसरी पार्टी को नीचा दिखाने के लिए भी जाति के नाम पर राजनीति की जा रही है.