नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ साजिश मामले में वकील उत्सव बैंस ने गुरुवार को एक और हलफनामा दाखिल किया. इस मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा, रोहिंटन फली नरीमन और दीपक गुप्ता की बेंच ने की. कोर्ट ने इस मामले पर 2 बजे फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ साजिश के मामले में जस्टिस ए के पटनायक की अगुआई में जांच के आदेश दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जस्टिस पटनायक उत्सव बैंस के हलफनामे और मामले के सबूतों के आधार पर मामले की जांच करेंगे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सीबीआई, आईबी और दिल्ली पुलिस को जस्टिस पटनायक को जांच में सहयोग करने को कहा गया है. कोर्ट ने कहा कि चीफ जस्टिस रंजग गोगोई पर लगाए आरोप इस जांच की परिधि से बाहर होंगे. सिर्फ साजिश की जांच होगी. जस्टिस पटनायक सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेंगे.
अटॉर्नी जनरल ने कहा, उत्सव के एफिडेविट के मुताबिक अजय नाम का शख्स उसके पास आया और कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए वह 50 लाख रुपये देने को तैयार है. अजय उसका क्लाइंट नहीं था. लेकिन वह कौन था, इसके बारे में भी जानकारी नहीं है. दरअसल सीजेआई गोगोई पर एक महिला ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. वहीं बैंस ने कहा है कि चीफ जस्टिस को यौन उत्पीड़न के झूठे मामले में फंसाने की साजिश रची गई है. उन्होंने इस मामले में कुछ सबूत पेश किए हैं. इन्हीं के आधार पर आगे की जांच की जाएगी.
सोमवार को बैंस ने एक एफिडेविट में एक विमानन कंपनी के फाउंडर, गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और एक कथित फिक्सर को इसके लिए जिम्मेदार बताया और दावा किया कि एक अजय नाम के शख्स ने सीजेआई के खिलाफ आरोप लगाने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. गुरुवार को सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उत्सव के एफिडेविट और महिला की शिकायत को एक ही बेंच को साथ सुनना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि इस पर सुनवाई अलग ही होगी.
सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के अध्यक्ष ने भी कहा कि CRPC के सेक्शन 90 मुताबिक कोर्ट को अगर जरूरी लगता है तो वह दस्तावेजों को समन कर सकता है. इंदिरा जयसिंह ने कहा कि दोनों जांच एक-दूसरे से अलग नहीं होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट को बैंस की शिकायत पर गौर नहीं करना चाहिए कि यौन उत्पीड़न के पीछे साजिश है. लेकिन यौन उत्पीड़न की जांच दूसरा पैनल कर रहा है. इसलिए बचाव पक्ष की जांच इस पीठ को नहीं करनी चाहिए.
इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि किसी शख्स ने इनसे संपर्क किया और एक साजिश की बात की. इसमें पूर्व कर्मचारी या फिक्सर की बात की गई है तो इसकी जांच होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, इस सुनवाई से वह जांच प्रभावित नहीं होगी. लेकिन हम आपको ब्योरा नहीं दे सकते. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि फिक्सिंग के आरोप बेहद गंभीर हैं.
सुप्रीम कोर्ट किसी के द्वारा रिमोट से कंट्रोल नही हो सकता. मनी पावर मसल्स पावर के जरिए सुप्रीम कोर्ट की छवि खराब की जा रही है. जब संस्थान ही नहीं रहेगा तो आप क्या करेंगे? बुधवार को सुनवाई में कोर्ट ने आईबी, सीबीआई डायरेक्टर और दिल्ली पुलिस कमिश्नर से उत्सव बैंस के सबूतों की जांच करने को कहा था.
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