नई दिल्लीः सऊदी अरब को दुनिया के अमीर देशों में गिना जाता है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि सऊदी बड़े पैमाने पर दूसरे देशों को तेल बेचता है। ऐसी स्थिति में अगर कोई कहे कि सऊदी अरब को दूसरे देशों से पैसा उधार लेना पड़ रहा है तो यह बात कुछ पचती नहीं है। […]
नई दिल्लीः सऊदी अरब को दुनिया के अमीर देशों में गिना जाता है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि सऊदी बड़े पैमाने पर दूसरे देशों को तेल बेचता है। ऐसी स्थिति में अगर कोई कहे कि सऊदी अरब को दूसरे देशों से पैसा उधार लेना पड़ रहा है तो यह बात कुछ पचती नहीं है। हालांकि यह सत्य है कि सऊदी मौजूदा समय में उधार लेने के लिए मजबूर है।
सऊदी अरब की पूरी आर्थिक स्थिति तेल कि निर्यात पर टिकी हुई है। सऊदी भी इस बात को अच्छी तरह से जानता है कि यह प्राकृतिक संसाधन उसके पास हमेशा नहीं रहने वाला है। यही वजह है कि सऊदी भी यूएई की तरह देश में तेल से निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहा है। सऊदी अरब का लक्ष्य है कि वह वर्ष 2030 तक अपनी आय में किसी तरह से विविधता लाए। इसी कड़ी में वह वैश्विक टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में निवेश कर रहा है। जिसके चलते सऊदी में करीब 500 बिलियन डॉलर की लागत से नियोम शहर को बसाया जा रहा है।
हालांकि, इस पहल में उसे आर्थिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि अपने इस पहल को पूरा करने के लिए सऊदी को उधार लेना पड़ रहा है और वह अपने कुछ हिस्सेदारी भी बेच रहा है। बता दें कि सऊदी अरब में प्रोजेक्ट्स का वित्तपोषण वेल्थ फंड और पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड द्वारा किया जाता है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पीआईएफ को मौजूदा समय में वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। पीआईएफ की नकदी भंडार राशि 2020 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर है। जिसके चलते पिछले कई सालों के बाद उसे उधार लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
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