नई दिल्ली: भारत में आज भी करीब 70 फीसद लोग गांव में रहते हैं. देश के गांव की स्थित को बेहतर बनाने के लिए उनके विकास करने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) की शुरुआत की गई. 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2014 सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की. सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत सांसद को एक साल के लिए एक गांव को गोद लेना होता है. गांव को गोद लेने के पीछा का मकसद होता है गांव को विकास करना. सांसद को गांव की बुनियादी सुविधाओं जैसे शिक्षा, रोजगार, अस्पताल, पशुपालन आदि सुविधाओं में सुधार लाने और बेहतर बनाने के लिए काम करना होता है.
15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) को लॉन्च करने की बात कही थी. इसी कड़ी में 11 अक्टूबर 2014 को अपना वादा पूरा करते हुए सांसद आदर्श ग्राम योजना लॉन्च की गई. भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत इस योजना को लागू किया गया है. सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत हर सांसद को अपनी संसदीय क्षेत्र के एक गांव को गोद लेकर 2016 तक विकास करना है और 2019 तक दो और गांवों को गोद लेकर उनका विकास करना है. सरकार का लक्ष्य है कि 2024 तक सांसद अपने संसदीय क्षेत्र के पांच गांव का विकास करें.
सांसद आदर्श ग्राम योजना में मुख्यता तीन चीजों पर जोर दिया जाता है. इनमें लोगों की मांग पर आधारित होना, समाज द्वारा प्रेरित होना और जनता की भागीदारी होना इस योजना में शामिल है. इसका मुख्य उद्देश्य ही यही है कि सांसद ने जिस गांव को गोद लिया है, वहां के ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार हो और वे बेसिक सुविधाओं से वंचित न रहें. 2017 तक जारी जानकारी के अनुसार इस योजना के तहत अब तक 19,732 प्रोजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं और 7,204 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है. आदर्श ग्राम योजना के तहत देश के 2400 गांव को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है.
सांसद आदर्श ग्राम योजना के मुख्य उद्देश्य
सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इंटीग्रेटिड चाइल्ड डेवलप्मेंट सर्विस (ICDS) केंद्रों में 100% रजिस्ट्रेशन, गांव को ओडीएफ घोषित कराना, बीमारियों के संक्रमण से 100% मुक्ति शामिल है. देशभर में कई राज्यों से मध्य प्रदेश, राजस्थान, यूपी, छत्तीसगढ़, गुजरात सिक्किम, तमिलनाडु और उत्तराखंड में इस योजना को लागू किया जा रहा है.
फंड कैसे मिलता है
आदर्श ग्राम योजना को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई तरह से फंडिंग की जाती है. इनमें से मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और पीएम आवास योजना शामिल है. इसके साथ ही सांसदों को जो फंड मिलता है वह भी इस योजना में इस्तेमाल किया जाता है. गांव में मौजूद ग्राम पंचायते भी अपने फंड का इस्तेमाल करती हैं. इसके अलावा निज कंपनियां कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) भी गांव के विकास करने के लिए भागीदारी निभाती हैं.
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