नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की 73वीं वर्षगाठ पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया. अब इसी बात को लेकर शनिवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से सम्मानित करने पर अब संजय राउत ने […]
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की 73वीं वर्षगाठ पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया. अब इसी बात को लेकर शनिवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से सम्मानित करने पर अब संजय राउत ने मोदी सरकार की खिंचाई की है.
मीडिया से बातचीत के दौरान संजय राउत कहते हैं, यदि प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा सकता है, तो शिवसेना नेता बाला साहेब ठाकरे और वीर सावरकर को भी सम्मानित किया जाना चाहिए। वहीं दूसरी ओर उन्होंने मुलायम सिंह यादव को कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश देने वाला राजनेता करार दिया
राउत ने आगे कहा कि “बीजेपी और अन्य हिंदू संगठनों ने उन्हें (मुलायम सिंह यादव) हिंदुओं का हत्यारा कहा था. लेकिन अब सरकार उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित कर रही है.” वह आगे कहते हैं, “तो अगर आप मुलायम सिंह को पुरस्कार देते हैं तो वीर सावरकर और बाला साहेब ठाकरे को अब तक पुरस्कार क्यों नहीं दिया गया है?” राउत ने अयोध्या विरोध प्रदर्शनों में बाला साहब ठाकरे के योगदान को याद किया और आगे कहा, “उस समय बाला साहेब ठाकरे ने अयोध्या आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्या आप उन्हें भूल गए?” उन्होंने आगे कहा कि “आप उन्हें पुरस्कार दे रहे हैं जिसने कारसेवकों पर गोली चलाई थी, लेकिन उस व्यक्ति को आप भूल चुके हैं जिसने आंदोलन को प्रकाश दिया?”
दरअसल केंद्र सरकार का यह दाव इतना मजबूत है कि विपक्ष में बैठे अखिलेश यादव भी खुद उनका स्वागत कर रहे हैं. उनके पास इसके अलावा कोई और चारा नहीं है. लेकिन ये बात साफ़ है कि पद्म अवॉर्ड में अपने पिता का नाम देखकर अखिलेश यादव पहैरान जरूर हुए होंगे। क्योंकि भाजपा से उन्हें इस बात की तनिक भी उम्मीद नहीं होगी. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र में बैठी भाजपा ने ये कदम 2024 के चुनाव को देखते हुए उठाया है.
यह बात तो साफ़ है कि अगले लोकसभा चुनाव में यादव वोट बेहद अहम होने वाले हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया गया है. मुलायम सिंह यादव की विरासत को अपने पाले में करने के लिए केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम हो सकता है. इससे पहले भी कई बार भाजपा इस बात को साफ़ कर चुकी है. पहले भी तीन ऐसे मौके आ चुके हैं जब केंद्र सरकार यादवों का झुकाव अपनी ओर खींचने का प्रयास कर चुकी है.
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