‘पवार के इशारे पर शिवसेना खत्म कर रहे हैं संजय राउत’- बागी विधायक दीपक केसरकर का बड़ा आरोप

महाराष्ट्र राजनीतिक संकट: मुंबई। असम के गुवाहाटी में डेरा जमाए शिवसेना के बागी विधायकों और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच सियासी जंग लगातार जारी है। पार्टी पर कब्जे को लेकर दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटाखटा चुके है। जिसे लेकर आज सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई भी हुई। इसी बीच बागी […]

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‘पवार के इशारे पर शिवसेना खत्म कर रहे हैं संजय राउत’- बागी विधायक दीपक केसरकर का बड़ा आरोप

Vaibhav Mishra

  • June 27, 2022 4:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

महाराष्ट्र राजनीतिक संकट:

मुंबई। असम के गुवाहाटी में डेरा जमाए शिवसेना के बागी विधायकों और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच सियासी जंग लगातार जारी है। पार्टी पर कब्जे को लेकर दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटाखटा चुके है। जिसे लेकर आज सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई भी हुई। इसी बीच बागी विधायकों में से एक दीपक केसरकर ने शिवसेना नेता संजय राउत पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि वे शरद पवार के इशारे पर शिवसेना को खत्म कर रहे हैं।

राउत के कंधे से बंदूक चला रहे है शरद पवार

शिवसेना के बागी विधायक दीपक केसरकर ने आगे कहा कि शरद पवार के इशारे पर संजय राउत पार्टी खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। NCP नेता संजय राउत के कंधे से बंदूक चलाएंगे। हम समाप्त नहीं होंगे, हम रुकेंगे नहीं और जब तक हम महाराष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर नहीं ले जाएंगे, तब तक पीछे नहीं हटेंगे।

ईडी नोटिस पर बोले संजय राउत

महाराष्ट्र में जारी सियासी संग्राम के बीच प्रवर्तन निदेशालय ने शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत को पात्रा चावल भूमि घोटाला मामले में समन जारी किया है। ईडी ने राउत को 28 जून यानि कल पूछताछ के लिए बुलाया है। इसी बीच संजय राउत ने ईडी के समन पर कहा है कि चाहे आप (बीजेपी) मुझे मार भी दे तो भी मैं गुवाहाटी का रास्ता नहीं चुनूंगा।

मनसे में जा सकते है बागी विधायक

असम के गुवाहाटी में डेरा जमाए शिवसेना के बागी विधायक महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना मंव शामिल हो सकते हैं। मनसे उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे की पार्टी है। बागी विधायकों के राज की पार्टी में शामिल होने के पीछे का कारण ये है कि शिंदे गुट के पास दो तिहाई यानी 37 से अधिक विधायकों का समर्थन जरूर है लेकिन उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में अलग पार्टी की मान्यता मिलना आसान नहीं है। इसी बीच बागी विधायकों का गुट अगर राष्ट्रपति चुनाव से पहले इस संकट का हल चाहता है तो उसे खुद का विलय किसी दल में करना होगा। ऐसे में बागियों की सबसे बड़ी संभावना महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में शामिल होने की है।

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