नई दिल्ली। समलैंगिक विवाह को कानूनी दर्जा देने की मांग वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय आज फैसला देगा। 11 मई को अदालत ने 10 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि शादी को कानूनी मान्यता मिले। वहीं केंद्र सरकार ने कहा था कि वह शादी का दर्जा दिए बिना समलैंगिक कपल्स को कुछ अधिकार देने पर विचार कर सकती है।
सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने वालों में गे कपल सुप्रियो चक्रबर्ती और अभय डांग, पार्थ फिरोज़ मेहरोत्रा और उदय राज आनंद के अलावा कई जोड़े शामिल हैं। 20 से ज्यादा याचिकाओं में से अधिकतर में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग की गई है। याचिकाओं में दलील दी गई कि स्पेशल मैरिज एक्ट में अंतर धार्मिक और अंतर जातीय विवाह को संरक्षण दिया गया है। लेकिन समलैंगिक कपल्स के साथ भेदभाव किया गया है।
दुनिया के कई देशों में समलैंगिक शादी को मान्यता मिलने की याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है। दलील में कहा गया कि भारत में समलैंगिक जोड़ों को कोई भी कानूनी अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून की नजर में पति-पत्नी न होने के चलते वह साथ में बैंक अकाउंट नहीं खोल सकते और अपने पीएफ या पेंशन में अपने पार्टनर को नॉमिनी भी नहीं बना सकते हैं। इन समस्याओं का समाधान तभी होगा, जब उनके शादी को कानूनी मान्यता मिल जाएगी।
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