नई दिल्ली: सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया. इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इंकार कर दिया. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने स्वागत किया है. आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने […]
नई दिल्ली: सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया. इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इंकार कर दिया. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने स्वागत किया है. आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही है. ऐसे सामाजिक मुद्दे पर संसद ही सही फैसला से ले सकती है.
SC ने क्या फैसला दिया?
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भारत में LGBTQIA+ समुदाय को वैवाहिक समानता का अधिकार देने से इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह मामले को लेकर कहा कि कि इस मामले में 4 अलग-अलग फैसले हैं. प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से वैध ठहराए जाने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है और न्यायालय कानून की सिर्फ व्याख्या कर सकता है उसे बना नहीं सकता है.
10 दिन तक हुई थी सुनवाई
बता दें कि सुप्रियो और अभय डांग इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता था. इसके साथ ही 20 और याचिकाएं भी सर्वोच्च न्यायालय में डाली गई थीं. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने इन याचिकाओं पर 10 दिनों तक सुनवाई की थी. इस बेंच में जस्टिस एस रवींद्र भट, संजय किशन कौल, पीएस नरसिम्हा और हिमा कोहली भी शामिल थे. सुनवाई के बाद कोर्ट ने 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सरकार ने क्या तर्क दिया?
वहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले 56 पन्नों का एक हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे में सरकार ने कहा था कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी नहीं दी जा सकती है. समलैंगिक शादी भारतीय परिवार की अवधारणा के विरुद्ध है. पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चों से भारतीय परिवार की अवधारणा होती है. दो विपरीत लिंग के व्यक्तियों के मेल को ही शुरुआत से शादी का कॉन्सेप्ट माना गया है और इसमें कोई छेड़खानी नहीं होनी चाहिए.