Same Sex Marriage: सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा- बच्चों को गोद ले सकते हैं समलैंगिक कपल

नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह कानूनी मान्यता देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना रहा है. फैसले के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि हर व्यक्ति को इसका अधिकार है कि वह खुद को किस (स्त्री या पुरुष) रूप में पहचानता है और अदालत की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के मौलिक […]

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Same Sex Marriage: सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा- बच्चों को गोद ले सकते हैं समलैंगिक कपल

Vaibhav Mishra

  • October 17, 2023 12:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह कानूनी मान्यता देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना रहा है. फैसले के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि हर व्यक्ति को इसका अधिकार है कि वह खुद को किस (स्त्री या पुरुष) रूप में पहचानता है और अदालत की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करे. सीजेआई ने कहा कि संसद के पास यह तय करने की जिम्मेदारी है कि विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है या नहीं. अदालत को संसद के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं है.

बच्चा गोद लेने पर क्या कहा?

सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में आगे कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(e) किसी भी व्यक्ति को शादी करने का अधिकार देता है. लेकिन यह भी सही है कि कुछ मामलों में साथी चुनने के अधिकार पर कानूनी रोक लगी है. जैसे प्रतिबंधित संबंधों में शादी करना, लेकिन समलैंगिक तबके के लोगों को भी अपने साथी के साथ वैसे ही रहने का अधिकार है जैसे दूसरों रहते हैं. इसके साथ ही जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अविवाहित जोड़े को बच्चा गोद लेने से रोकने वाला प्रावधान गलत है. इससे भेदभाव होता है. इस तरह का प्रावधान अनुच्छेद 15 (समानत का अधिकार) का हनन है. (यानी सीजेआई समलैंगिक जोड़ों के बच्चा गोद लेने के पक्ष में हैं)

10 दिन तक हुई थी सुनवाई

बता दें कि सुप्रियो और अभय डांग इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता था. इसके साथ ही 20 और याचिकाएं भी सर्वोच्च न्यायालय में डाली गई थीं. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने इन याचिकाओं पर 10 दिनों तक सुनवाई की थी. इस बेंच में जस्टिस एस रवींद्र भट, संजय किशन कौल, पीएस नरसिम्हा और हिमा कोहली भी शामिल थे. सुनवाई के बाद कोर्ट ने 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

सरकार ने क्या तर्क दिया?

वहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई से पहले 56 पन्नों का एक हलफनामा दाखिल किया था. इस हलफनामे में सरकार ने कहा था कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी नहीं दी जा सकती है. समलैंगिक शादी भारतीय परिवार की अवधारणा के विरुद्ध है. पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चों से भारतीय परिवार की अवधारणा होती है. दो विपरीत लिंग के व्यक्तियों के मेल को ही शुरुआत से शादी का कॉन्सेप्ट माना गया है और इसमें कोई छेड़खानी नहीं होनी चाहिए.

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