पटना: बिहार में चाचा-भतीजा की जोड़ी के बीच फिर से नजदीकियां बढ़ती हुईं दिख रही हैं. बता दें कि हम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम एलजीपी के दोनों गुट के मुखिया पशुपति पारस और चिराग पासवान की बात कर रहे हैं. पिछले कुछ सालों में एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे पशुपति और चिराग अब एक मुद्दे पर साथ आ गए हैं.
बता दें कि जिस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और हाजीपुर से पूर्व सांसद पशुपति पारस साथ आए हैं वह है भारत बंद का. सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण के संबंध में हालिया फैसले के विरोध में बुधवार यानी 21 अगस्त को पूरे देश में बंद का आह्वान किया गया था. यह आह्वान आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति द्वारा किया गया था. इस बंद का देश के विभिन्न राजनीतिक दलों ने समर्थन किया था, जिसमें चिराग और पशुपति भी शामिल हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने फैसले में राज्यों को एससी और एसटी समूहों में वर्गीकरण की अनुमति दी है. इसका उद्देश्य उन लोगों को प्राथमिकता देना है, जिन्हें आरक्षण की सबसे अधिक जरूरत है. हालांकि, विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया है. उनका मानना है कि यह फैसला आरक्षण प्रणाली को कमजोर कर सकता है.
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