देश-प्रदेश

फतवा, जानलेवा हमला, धमकी.. सलमान रुश्दी के उपन्यास पर और कब-कब भड़का आक्रोश?

नई दिल्ली, बुकर पुरस्कार विजेता उपन्यासकार सलमान रुश्दी पर हुए जानलेवा हमले ने दुनिया को हिला कर रख दिया है. खासतौर पर उन लोगों को जो वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हिमायत करते हैं, भारत में जन्मे लेखक सलमान रुश्दी को 24 वर्षीय एक शख्स ने सरेआम मंच पर चढ़कर गर्दन और पेट में चाकू मार दिया. यह घटना उस वक्त की है जब वह पश्चिमी न्यूयॉर्क में चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में स्पेशल लेक्चर देने वाले थे. उधर, हमलावर का मकसद अभी स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है, रुश्दी को उनके उपन्यास “द सैटेनिक वर्सेज” के प्रकाशन के बाद से मुस्लिम देशों विशेष रूप से ईरान से मौत की धमकी दी गई थी. उपन्यासकार सलमान रुश्दी अभी भी वेंटिलेटर पर हैं और डॉक्टर उन्हें बचाने की पूरी कोशिश कर हरे हैं.

रुश्दी पर इनाम

रुश्दी किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ ईरान में 1988 से बैन है, क्योंकि कई मुसलमान इसे ईशनिंदा मानते हैं, इसे लेकर रुश्दी को धमकी भी दी गई थी. इसके ठीक एक साल बाद, ईरान के दिवंगत नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने एक फतवा जारी किया था, जिसमें रुश्दी की मौत का आह्वान किया गया था, इतना ही नहीं, फतवा में रुश्दी को मारने वाले को 3 मिलियन डॉलर से अधिक का इनाम देने की बात भी कही गई थी. ईरान की सरकार ने लंबे समय से खुमैनी के फरमान से खुद को दूर कर लिया है, लेकिन रुश्दी विरोधी भावना अब भी रखती है. साल 2012 में, एक अर्ध-आधिकारिक ईरानी धार्मिक फाउंडेशन ने रुश्दी को मारने के लिए इनाम को 2.8 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर 3.3 मिलियन डॉलर कर दिया.

ईरान के फतवे के बाद हमले

साल 1991 में, उपन्यास के विरोध में इसके एक जापानी अनुवादक की टोक्यो में चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी. वहीं, एक इतालवी अनुवादक उसी साल अपने मिलान फ्लैट में हमले से बाल-बाल बचा था, उसने बताया था कि उसपर जिसने हमला किया था वह ईरानी था. साल 1993 में, पुस्तक के नॉर्वेजियन प्रकाशक को तीन बार गोली मारी गई, लेकिन वह बच गया. इस किताब को लेकर अब तक कई हमले किए जा चुके हैं, इन हमलों में अब तक कम से कम 45 लोग मारे जा चुके हैं.

सालों छिपे रहे रुश्दी

मौत की धमकियां मिलने के बाद रुश्दी चौबीसों घंटे पुलिस सुरक्षा के साथ छिपे रहते थे. फतवा जारी होने के बाद से उन्होंने सुरक्षित घरों में रहना शुरू कर दिया था.

भारत में भी विरोध

फरवरी 1989 में, मुंबई में मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने लेखक रुश्दी के विरोध में ब्रिटिश उच्चायोग की ओर मार्च किया था. पुलिस ने भीड़ पर गोलियां चलाईं जिसमें 12 की मौत हो गई, इस घटना के लगभग 10 साल बाद, भारत सरकार ने उपन्यासकार को दौरा करने के लिए वीजा दिया, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय ने फिर विरोध करना शुरू कर दिया. साल 2012 में, उन्हें कुछ मुस्लिम समूहों के विरोध के कारण जयपुर में एक प्रमुख साहित्य उत्सव में भाग लेने की अपनी योजना रद्द करनी पड़ी थी.

भारत में भी बैन है पुस्तक

सैटेनिक वर्सेज के रिलीज होने के महीनों बाद भारत समेत दर्जनों देशों ने इस पुस्तक पर बैन लगा दिया था. पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजनयिक नटवर सिंह ने किताब पर प्रतिबंध लगाने के राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा था कि यह “विशुद्ध रूप से कानून और व्यवस्था के कारणों” के लिए ऐसा किया गया है.

 

सेटेनिक वर्सेस: सलमान रुश्दी ने ऐसा क्या लिखा कि उन्हें जान से मारने को आतुर हो गए कट्टरपंथी

Aanchal Pandey

Recent Posts

जल्द श्रीलंका दौरे पर जाएंगे PM मोदी, राष्ट्रपति दिसानायके का न्योता स्वीकारा

नई दिल्ली। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके अपने पहले विदेशी दौरे पर इस वक्त…

39 minutes ago

बांग्लादेश के लिए कलंक है यूनुस! दिल्ली से ऐसी दहाड़ीं शेख हसीना, कांप उठा ढाका

भारत की राजधानी दिल्ली में बैठीं शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश की वर्तमान सरकार…

43 minutes ago

इकरा हसन के विधायक भाई ने योगी की पुलिस को दौड़ाया, कैराना में महा-बवाल!

इस्सौपुरटिल इलाके में अवैध कब्जे को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद चल रहा था।…

50 minutes ago

गावस्कर ने दिया गुरुमंत्र, सचिन ने दी सलाह, क्या अब चलेगा कोहली का बल्ला ?

क्रिकेट के दिग्गज सुनील गावस्कर ने कोहली को एक अहम सलाह दी। उन्होंने कहा कि…

57 minutes ago