नई दिल्लीः गरीबों की गाढ़ी कमाई का थोड़ा अंश लेकर पैराबैंकिंग के जरिए अरबों रुपये का साम्राज्य स्थापित करने वाले सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय की मृत्यु के बाद निवेशकों के मन में सवाल उठने लगा है कि आखिर उनकी जमापूंजी वापस कैसे उन्हें मिलेगी। सहारा समूह से अपनी गाढ़ी कमाई मिलने की उम्मीद […]
नई दिल्लीः गरीबों की गाढ़ी कमाई का थोड़ा अंश लेकर पैराबैंकिंग के जरिए अरबों रुपये का साम्राज्य स्थापित करने वाले सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय की मृत्यु के बाद निवेशकों के मन में सवाल उठने लगा है कि आखिर उनकी जमापूंजी वापस कैसे उन्हें मिलेगी। सहारा समूह से अपनी गाढ़ी कमाई मिलने की उम्मीद खो चुके निवेशकों को अब सरकार से न्याय मिलने की उम्मीद है। इसकी वजह सहारा-सेबी विवाद के बाद जमा कराई गयी 14 हजार करोड़ रुपये है।
सहारा समूह के देनदारियों में केवल निवेशक ही नहीं बल्कि हजारों एजेंट का कमीशन और लाखों कर्मचारियों की लंबित तनख्वाह और अन्य देय भी शामिल है। नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में सहारा के निवेशकों की रकम को वापस करने के लिए सहारा रिफंड पोर्टल की शुरुआत की थी। इसके जरिए आवेदन करने वाले निवेशकों को दस हजार रुपये का भुगतान किया जाता था। हालांकि इस सूची में अभी ऐसे निवेशकों को जगह नहीं मिली है, जिनके लाखों रुपये सहारा में जमा हैं।
अब उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र सरकार सहारा समूह के निवेशकों की रकम को वापस करने की कवायद को तेज कर सकती है। इसके अलावा सहारा समूह की देश के कई बड़े शहरों में बेशकीमती संपत्तियां भी हैं। हालांकि इन संपत्तियों को बेचने पर रोक है। न्यायालय की अनुमति से होने वाली बिक्री पर मिलने वाली रकम को सहारा-सेबी खाते में जमा कराने का आदेश अदालत दे चुकी है। बता दें कि सहारा समूह ने तीन वर्ष पहले दावा किया था कि उसकी 22 हजार करोड़ रुपये की धनराशि सहारा-सेबी खाते में जमा है। इसके अलावा सहारा समूह देश भर में अपनी दो लाख करोड़ रुपये कीमत की संपत्तियां होने का दावा भी करता रहा है।
बताया जा रहा है कि सहारा प्रमुख के निधन के बाद उनकी पत्नी स्पप्ना राय उनकी विरासत को संभाल सकती हैं। हालांकि बीते सात नवंबर को सुब्रत राय की ओर से जारी एक पत्र में सहारा समूह में उप प्रबंध कार्यकर्ता ओपी श्रीवास्तव को अधिकतर प्रशासनिक कार्यों से जुड़े फैसले लेने की जिम्मेदारी सौंपी चुकी है। ओपी श्रीवास्तव को उनके सबसे काबिल लोगों में शुमार किया जाता है। श्रीवास्तव ने भी सहारा पर तमाम मुसीबतें आने के बावजूद सुब्रत राय का साथ नहीं छोड़ा था। इसके अलावा उनके भाई जयब्रत राय, दोनों बेटे और बहुएं भी सहारा समूह में अहम पदों पर अपनी भूमिका निभा चुके है।