Netflix Sacred Games 2 Trailer: सैफ अली खान और नवाजुद्दीन सिद्दीकी के नेटफ्लिक्स सेक्रेड गेम्स 2 के ट्रेलर में भरपूर गोलियां- गालियां नजर आईं. गोलियां तो फिर भी ठीक लेकिन ये गालियां देना आखिर क्यों फैशन बनता जा रहा है.
बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. सैफ अली खान की सेक्रेड गेम्स 2 का ट्रेलर रिलीज हो गया है जिसमें डायलॉग्स से ज्यादा गालियां सुनने को मिली हैं. एक जमाना होता था जब गालियां देना तो छोड़िए सुनना भी पाप था लेकिन अब दौर बदल गया है. आज गालियां भी लोगों की शहर-गांव की क्लास तय कर रही हैं. सड़क किनारे खड़े चार युवा या बड़े हो रहे स्कूल के बच्चे एक-दूसरे को गाली न बके, ऐसा कम ही अब दिखता है. फिल्मों और इंटरनेट की वेब सीरीजों में भी गालियों को पवित्र जल की तरह दर्शकों की थाली में परोसा जा रहा है. और खास बात है कि लोग भी सिर माथे उन गालियों को स्वीकार कर रहे हैं. फिल्मों में हद की रेखा पार हो जाए तो सेंसर मौजूद है लेकिन इंटरनेट की मायानगरी में तो ये भी झगड़ा नहीं है. क्या इसमें किसी की गलती है? क्या समाज में ऐसे कटेंट गलत तो नहीं ? फिल्मों की तरह इंटरनेट के लिए सेंसर बोर्ड क्यों नहीं ? ऐसे काफी सवाल उठाए तो जा रहे हैं लेकिन इन लोगों की संख्या अभी कम है जबकि गालियां सुनकर ताली बजाने वालों में लगातार इजाफा है जिसकी गवाही नेटफिलिक्स और अल्ट बालाजी जैसे डिजिटल वेब चैनलों की तरक्की दे रही है.
शायरों की शायरी से गंदी-गंदी गालियों तक, आखिर समय का कैसा बदलाव है ये
पहले फिल्मों में हीरो या हीरोइन के डायलोग्स पर जमकर फैन्स तालियां ठोकते. हीरो शायराना अंदाज में शायरी सुनाता जिसका असर सिर्फ हीरोइन ही नहीं फिल्म देख रही हर एक लड़की पर होता. लेकिन अब वो शायरियां नहीं गालियों की भरमार है और वो भी ऐसी कि एक परिवार साथ बैठकर फिल्म या वेब सीरीज का एक एपिसोड भी पूरा न कर पाए. उसके बावजूद कटेंट को जमकर पसंद किया जा रहा है. जब पसंद करने वाले लोगों से पूछें तो कहते हैं समय का बदलाव है जो अभी फिल्मों और वेब सीरीजों में दिखाई देने लगा है. अब सवाल है कि यह भी कैसा बदलाव जिसमें लोग साफ जुबान को छोड़कर गालियों से अपनी पहचान बनाने लगें.
गैंग्स ऑफ वासेपुर हो या सेक्रेड गेम्स, क्या अच्छा कटेंट बिना गालियों के नहीं मिल सकता?
कुछ सालों पहले एक लड़के ने यू ट्यूब पर वीडियो बनानी शुरू की जो बाद में बीबी की वाइंस के नाम से मशहूर हुआ. बीबी की वाइंस उर्फ भूवन बाम जब भी वीडियो में गाली देते तो लोगों को और ज्यादा मजा आता. काफी बच्चों और युवाओं ने उनके स्टाइल में गाली देना भी सीख लिया. इस दौरान एआईबी ने भी गाली प्रतियोगिता में अपनी कमर कसी और रोस्ट के नाम पर फूहड़पन फैलाना शुरू कर दिया. एआईबी का तो इतना जोर चला कि रणवीर सिंह, अर्जून कपूर समेत कई स्टार्स ने एक कार्यक्रम में जमकर गालियां भी निकालीं. सिर्फ ये ही नहीं, अब तो इंटरनेट पर उन चैनलों या कॉमेडियनों की भरमार है जो सम्मानित गालियों के दम पर अपनी मनोरंजन की दुकान चला रहे हैं.
फिल्मी पर्दे पर आएं तो अनुराग कश्यप ने मनोज वाजपेयी, नवाजुद्दीन सिद्दिकी के साथ गैंग्स ऑफ वासेपुर बनाई जो लोगों का दिल छू गई. किसी का दिल छूने के लिए फिल्म की कहानी और किरदारों की एक्टिंग मजबूत तो थी ही साथ ही फिल्म गालियों का भी मसालेदार तड़का लगाया था. वहीं आमिर खान की फिल्म देली बेली में तो एक गाली पर गाना तक बना दिया गया. बड़ी बात है, गाना देश में इतना हिट हुआ कि लोगों की जुबान पर चढ़ गया.
https://www.youtube.com/watch?v=glA-FIzDbpI
गालियों को कंटेंट से निकालना कितना जरूर और किसपर असर
अब जब गालियां परोसी जा रही हैं और लोग पसंद भी कर रहे हैं तो इसका असर सकरात्मक होगा या नकारात्मक ये बड़ा सवाल बन चुका है. फिल्मों पर तो रोक लगाने के कई तरीके लेकिन इंटरनेट पर रोक कैसे. घर में बच्चों से लेकर भविष्य बना रहे युवाओं के हाथ में स्मार्टफोन है तो जाहिर है इंटरनेट चलाएंगे. अब इंटरनेट पर तो पोर्न फिल्में भी हैं, हर तरह का कटेंट हैं जिसपर रोक भी नहीं, कोई सेंसर का मुद्दा नहीं फिर बच्चों की उनतक पहुंच कैसे रोके. रोक नहीं है, कंटेंट भी भरपूर है तो बच्चे या युवा आसानी से वहां तक पहुंच सकते हैं जिसका असर भी उनपर दिखना शुरू हो जाता है. यह परेशानी आम लोगों के हाथ से बाहर तो लगती है लेकिन आने वाले समय सरकार इस ओर कुछ कदम बढ़ाए तो बेहतर होगा.