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Sabrimala Temple SC Hearing: सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री वाले फैसले की पुनर्विचार याचिका पर आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ आज केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले की समीक्षा के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक नोटिस के अनुसार, समीक्षा याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस आर एफ नरीमन, ए एम खानविलकर, डी वाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा ​​की संविधान पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी. पिछले साल 28 सितंबर को 4-1 के फैसले में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी थी, जिसमें कहा गया था कि मंदिर में प्रवेश पर रोक लिंग भेदभाव है.

  1. पिछले साल 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सहमति दे दी थी कि इस साल जनवरी में खुली अदालत में सुनवाई की जाएगी लेकिन इसमें केवल फैसले की समीक्षा करने के लिए सुनवाई की बात कही गई थी फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था. हालांकि 22 जनवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह 30 जनवरी तक सबरीमाला के फैसले की समीक्षा करने की मांग करती याचिका पर सुनवाई शुरू नहीं कर सकते हैं क्योंकि पीठ में से एक जज न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा छुट्टी पर हैं. पीठ की ये अकेली महिला जज हैं.
  2. फैसले की समीक्षा के लिए लगभग 48 दलीलें दी गई हैं और उन्हें 28 सितंबर को आए फैसले के पक्ष में और विरोध में हिंसक प्रदर्शन के बाद दायर किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ये स्पष्ट कर दिया था कि इस मामले से संबंधित ताजा दलीलों की सुनवाई लंबित दलीलों की सुनवाई के बाद ही की जाएगी.
  3. फैसले की समीक्षा के लिए याचिका दायर करने वाली राष्ट्रीय अयप्पा भक्त एसोसिएशन (नाडा) ने कहा है कि प्रतिबंध को उठाने वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ का फैसला बिल्कुल अस्थिर और तर्कहीन था. नाडा के अलावा, कई अन्य याचिकाएं भी शामिल हैं. एक याचिका सबरीमाला मंदिर के प्रमुख पुजारी कंदरू राजीवारू और दूसरी नायर सर्विस सोसाइटी (एनएसएस) द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई है. एनएसएस ने अपनी दलील में कहा था कि क्योंकि देवता एक नैस्तिका ब्रह्मचारी हैं इसलिए 10 वर्ष से कम उम्र की महिलाएं और 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं उनकी पूजा करने के योग्य हैं और महिलाओं को पूजा से बाहर रखने की कोई प्रथा नहीं है.

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Aanchal Pandey

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