सुप्रीम कोर्ट के 4 जज बोले-सबरीमाला मंदिर में हो महिलाओं की एंट्री, जस्टिस इंदु मल्होत्रा बोलीं- नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयु की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी है. इस मामले पर पांच जजों की बैंच में एक महिला जज इंदु मल्होत्रा भी थीं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ में इस मामले पर एकराय नहीं बन पाई. जस्टि इंदु मल्होत्रा ने बाकी चार जजों से अपनी अलग राय रखी.

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सुप्रीम कोर्ट के 4 जज बोले-सबरीमाला मंदिर में हो महिलाओं की एंट्री, जस्टिस इंदु मल्होत्रा बोलीं- नहीं

Aanchal Pandey

  • September 28, 2018 3:44 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया. शुक्रवार को मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बैंच ने 4:1 के बहुमत से सुनाए गए फैसले में मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटा दी जो सैकड़ों साल से चली आ रही थी. संवैधानिक पीठ के चार जजों ने इसे महिलाओं के खिलाफ भेदभाव बताकर रोक हटा दी. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ में से इंदू मल्होत्रा का रुख बाकी चार जजों से अलग रहा.

जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने इसे धार्मिक मामला बताते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि धार्मिक मामलों में तार्किकता की धारणा नहीं लाई जा सकती है. संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसके तहत देवी देवता एवं पूजास्थल संरक्षित हैं. इसलिए सती प्रथा जैसी सामाजिक बुराई के मुद्दों के अलावा कोर्ट को धार्मिक पद्धतियों को खत्म करने का निर्णय नहीं करना चाहिए. जस्टिस मल्होत्रा ने कहा कि यह फैसला पूजा पाठ की अन्य पद्धतियों पर असर डालेगा.

जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने चार जजों से अलग राय रखते हुए कहा कि केवल समानता के अधिकार के आधार पर धार्मिक परंपरा पर परीक्षण नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि धार्मिक रुप से कौन सी प्रथा जरुरी है इसका फैसला कोर्ट के बजाय श्रद्धालु करें. जस्टिस मल्होत्रा ने कहा कि आज के फैसले का व्यापक असर होगा यह सिर्फ सबरीमाला मंदिर तक ही सीमित नहीं रह जाएगा. उन्होंने कहा कि गहरी आस्था वाले मुद्दों पर सामान्यतौर पर कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, केरल के सबरीमाला मंदिर में अब हर उम्र की महिलाओं को एंट्री

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