नई दिल्ली: भारत और कनाडा के बीच चल रही तनातनी के बीच भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का बड़ा बयान आया है। विदेश मंत्री ने कहा है कि हमें कनाडा की राजनीति में कुछ नीतियों से समस्या है। जयशंकर ने ये भी कहा कि भारत-कनाडा का रिश्ता इस समय कठिन समय से गुजर […]
नई दिल्ली: भारत और कनाडा के बीच चल रही तनातनी के बीच भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का बड़ा बयान आया है। विदेश मंत्री ने कहा है कि हमें कनाडा की राजनीति में कुछ नीतियों से समस्या है। जयशंकर ने ये भी कहा कि भारत-कनाडा का रिश्ता इस समय कठिन समय से गुजर रहा है और उन्हें उम्मीद है कि यह स्थिति जल्द बेहतर होगी।
जयशंकर ने भारत के राजनयिकों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए कहा कि हमारे राजनयिक कनाडा में काम करने में सुरक्षित नहीं हैं इसलिए हमें वीजा जारी करने पर रोक लगानी पड़ी। वीजा पर रोक लगाने का मुख्य कारण हमारे राजनयिकों की सुरक्षा ही थी।
डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि अगर वे कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति देखते हैं, तो वे वहां वीजा जारी करना फिर से शुरू करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि कनाडाई राजनयिकों की ओर से हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप हुआ। इसे देखते हुए ही हमने समानता की बात कही।
भारत ने वियना संधि का पालन नहीं करने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि राजनयिक समानता का अमल करना अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं है। हम समानता लागू करने को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में पेश करने के किसी भी प्रयास को खारिज करते हैं। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, “हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति, भारत में कनाडाई राजनयिकों की बढ़ी संख्या, और हमारे आंतरिक मामलों में उनके लगातार हस्तक्षेप नई दिल्ली और ओटावा में आपसी राजनयिक उपस्थिति में समानता की गारंटी देता है।”
भारत और कनाडा के बीच ये तनाव तब शुरू हुआ जब कनाडा के प्रधान मंत्री ट्रूडो ने पिछले महीने भारत पर आतंकवादी हरदीप सिंह की हत्या में शामिल होने का गंभीर आरोप लगाया। ट्रूडो ने कहा था कि खालिस्तान टाइगर फोर्स के नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल हैं। बता दें कि 45 साल का हरदीप सिंह निज्जर कनाडाई नागरिक था, जिसे भारत में आतंकवादी घोषित किया जा चूका था। इसी साल जून के महीने में मास्क पहने 2 आदमियों ने हरदीप की गोली मर कर हत्या कर दी। बता दें कि ट्रूडो के इस बयान को भारत के विदेश मंत्रालय ने बेतुका और प्रेरित बताकर खारिज कर दिया था।