नई दिल्लीः भाजपा नेता और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कच्चातिवु द्वीप के मुद्दे पर सोमवार को एक प्रेस वार्ता में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने कच्चातिवु द्वीप पर भारत का अधिकार छोड़ने को लेकर कांग्रेस और द्रमुक पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 1974 में, भारत और श्रीलंका ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जहां […]
नई दिल्लीः भाजपा नेता और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कच्चातिवु द्वीप के मुद्दे पर सोमवार को एक प्रेस वार्ता में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने कच्चातिवु द्वीप पर भारत का अधिकार छोड़ने को लेकर कांग्रेस और द्रमुक पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 1974 में, भारत और श्रीलंका ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जहां उन्होंने एक समुद्री सीमा खींची, और समुद्री सीमा खींचने में कच्चातिवु को सीमा के श्रीलंकाई पक्ष पर रखा गया। जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस और डीएमके ने इस मामले को इस तरह से लिया है मानो इस पर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि हम जानते हैं कि यह किसने किया, यह नहीं पता कि इसे किसने छुपाया। हमारा मानना है कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि यह स्थिति कैसे आई। कच्चातिवु द्वीप मसले के चलते श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों के पकड़े जाने की घटना की जानकारी देते हुए जयशंकर ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में, 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिया गया है। इसी समयकाल में 1175 भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को श्रीलंका द्वारा जब्त किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में कच्चातिवु मुद्दा और मछुआरे का मुद्दा संसद में विभिन्न दलों द्वारा बार-बार संज्ञान में लाया गया है।
यह संसद के सवालों, बहसों और सलाहकार समिति में सामने आया है। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मुझे कई बार पत्र लिखा है और मेरा रिकॉर्ड बताता है कि मौजूदा मुख्यमंत्री को मैं इस मुद्दे पर 21 बार जवाब दे चुका हूं। यह एक जीवंत मुद्दा है जिस पर संसद और तमिलनाडु हलकों में बहुत बहस हुई है। यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच पत्राचार का मुद्दा रहा है।