तिरूपति बालाजी के प्रसाद पर बवाल, जानें घी की जगह कैसे होता है बीफ का इस्तेमाल?

नई दिल्ली: तिरूपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं को लेकर इन दिनों विवाद गरमाया हुआ है. यह खुलासा हुआ है कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं में पशु वसा, पशु वसा और मछली का तेल होता है. यह आरोप खुद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ‘चंद्रबाबू नायडू’ ने लगाया था कि YSR कांग्रेस पार्टी की पिछली सरकार में तिरुपति मंदिर में प्रसाद और भोग के लिए बनने वाले लड्डुओं में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा था. जिससे मंदिर की पवित्रता और लोगों की आस्था से छेड़छाड़ हुई.

लड्डुओं में इस्तेमाल…

ये आरोप आंध्र प्रदेश के CM चंद्रबाबू नायडू ने इसी साल लोकसभा चुनाव के बाद 23 जुलाई को जारी हुई टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर लगाए हैं. इस रिपोर्ट में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं के सैंपल की जांच की गई थी. इन नमूनों से पता चला कि लड्डुओं में इस्तेमाल किया जा रहा घी असल में मिलावटी है.

1. इसमें मछली का तेल

2. पशु वसा और चरबी की थोड़ी मात्रा भी हो सकती है.

3. एनिमल टैलो का मतलब जानवरों में मौजूद वसा से और इसमें चर्बी भी मिली हुई थी. लार्ड का मतलब है जानवरों की चर्बी और इसी रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ कि इन लड्डुओं में मछली का तेल भी हो सकता है.

बीफ का उपयोग कैसे किया जाता है?

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की रिपोर्ट में तिरूपति मंदिर के लड्डुओं और अन्नदानम के नमूनों की जांच से पता चला है कि तिरूपति लडडू प्रसादम बनाने में घी की जगह पशु वसा का इस्तेमाल किया जाता है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने लड्डू में वसा और गोमांस की मौजूदगी की पुष्टि की है. लड्डू बनाने और बांधने में घी अहम भूमिका निभाता है. अगर इसमें गाय का मांस डाल दिया जाए तो यह घी की तरह काम करता है. ऐसे में बताया जा रहा है कि लड्डू में बीफ और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है.

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