लुधियाना के एक एडवोकेट द्वारा टोल प्लाजा पर लगने वाले वेटिंग पीरियड को लेकर फाइल की गई RTI (राइट टू इनफार्मेशन) का जवाब चौंका देने वाला है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने आरटीआई का जवाब दिया है कि अगर किसी तो टोल प्लाजा पर 3 मिनट से ज्यादा रुकना पड़ता है तो आप टोल नहीं भरने के लिए स्वतंत्र हैं
नई दिल्लीः नेशनल टोल प्लाजा पर घंटों लगने वाले जाम का सामना सबको करना पड़ा होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि घंटो जाम में लगने से आपको फायदा भी हो सकता है. जी हां, एक आरटीआई यानी सूचना के अधिकार कानून के जरिए यह खुलासा हुआ है कि अगर किसी तो टोल प्लाजा पर 3 मिनट से ज्यादा रुकना पड़ता है तो आप टोल नहीं भरने के लिए स्वतंत्र हैं. लुधियाना के निवासी एडवोकेट हरिओम जिंदल ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया में एक आरटीआई फाइल की थी जिसमें उन्होंने टोल प्लाजा पर लगने वाले वेटिंग पीरियड को लेकर सवाल पूछे थे.
हरिओम जिंदल द्वारा फाइल की गई आरटीआई में खुलासा हुआ है कि किसी भी टोल टैक्स बूथ पर लगने वाला वेटिंग टाइम 3 मिनट से ज्यादा का नहीं हो सकता. इसका मतलब है कि 3 मिनट के बाद आप बिना टोल टैक्स भरे निकल सकते हैं. हरिओम जिंदल का कहना है कि ‘मैंने टोल प्लाज़ा पर लंबी-लंबी कतारें देखी हैं. खुद भी भुगता है. कई गाड़ियां बहुत देर तक इंतज़ार करती रहती हैं अपनी बारी आने का. टोल कलेक्ट करने वाले सही शेड्यूल तक नहीं बताते.’ जिंदल ने टोल से जुड़े मामलों की सुनवाई के बजाय कंज्यूमर कोर्ट में कराने को लेकर भी लंबी लड़ाई लड़ी है. जिसमें उन्हें सफलता भी मिली.
जिंदल ने बताया कि नेशनल हाईवे केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं. इसलिए अगर किसी को कोई शिकायत होती है, तो उसको हाईकोर्ट में पिटीशन डालनी पड़ती है. अब 200-300 रुपए के क्लेम के लिए ज़्यादातर लोग हाईकोर्ट जाना अवॉयड ही करते थे.’ उन्होंने कहा कि टोल टैक्स नहीं बल्कि एक खास रोड इस्तेमाल करने की फीस है. जब हम किसी भी चीज का यूजर चार्ज पे करते हैं, तो इससे जुड़ा हर मामला कंज्यूमर कोर्ट का बनता है और हर जिले में कंज्यूमर कोर्ट होता है.
RTI पर NHAI के जवाब की कॉपी
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