नई दिल्ली. ओम बिड़ला का लोकसभा अध्यक्ष बनना तय है और डिप्टी स्पीकर का पद टीडीपी को दिये जाने के संकेत साफ साफ मिल रहे हैं. मतलब साफ कि कमजोर होने के बावजूद भाजपा नेतृत्व परंपराओं को मानने और विपक्ष के प्रति नरम रुख अख्तियार करने को तैयार नहीं है. बात करें भाजपा अध्यक्ष की […]
नई दिल्ली. ओम बिड़ला का लोकसभा अध्यक्ष बनना तय है और डिप्टी स्पीकर का पद टीडीपी को दिये जाने के संकेत साफ साफ मिल रहे हैं. मतलब साफ कि कमजोर होने के बावजूद भाजपा नेतृत्व परंपराओं को मानने और विपक्ष के प्रति नरम रुख अख्तियार करने को तैयार नहीं है. बात करें भाजपा अध्यक्ष की तो, उसको लेकर पार्टी और आरएसएस में खींचतान है. संघ प्रमुख मोहन भागवत व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिलने पर जो बयान दिया था उससे संदेश चला गया था कि संघ क्या चाहता है. इंद्रेश कुमार ने तो भाजपा को इशारों ही इशारों में अहंकारी भी बता दिया था. जो राम को लाये वो 241 पर इसलिए अटक गये कि उनमें अंहकार आ गया था.
आरएसएस सूत्रों के मुताबिक संघ नेतृत्व इस बात से खफा है कि मोदी सरकार और नड्डा के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई. जेपी नड्डा संगठन की नुमाइंदगी करने की बजाय सरकार की हां में हां मिलाते रहे. फिलहाल भाजपा को ऐसे अध्यक्ष की जरूरत है जो कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चले और उसकी नजर जनता की नब्ज पर हो. सरकार की हां में हां मिलाने से जमीनी हकीकत नहीं बदलती. मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा की छवि यसमैन की रही और इसका उन्हें डबल इनाम भी मिल गया है.
नड्डा को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ साथ राज्यसभा में नेता पद से नवाजा गया है. 30 जून को उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है, ऐसे में नये अध्यक्ष की तलाश हो रही है लेकिन इस बार जो भी अध्यक्ष बनेगा उसे बहुत मेहनत करनी होगी. संघ और सरकार में तालमेल बिठाना होगा. एक चर्चा यह भी है कि संघ और भाजपा में अध्यक्ष पद को लेकर सहमति नहीं बनी तो नड्डा को थोड़ा और समय दिया जा सकता है.
खबर है कि संघ चाहता है कि केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान जैसे किसी नेता को अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए. वहीं शीर्ष नेतृत्व विनोद तावड़े व सुनील बंसल जैसे किसी नेता को ये जिम्मेदारी देना चाहता है. संगठन में इस समय जो महत्व तावड़े और बंसल को मिल रहा है उससे भी इस संभावना को बल मिल रहा है. विनोद तावड़े और सुनील बंसल दोनों राष्ट्रीय महासचिव हैं और उन्हें संगठन चलाने का अनुभव है. तावड़े महाराष्ट्र से हैं और वहां की सरकार में मंत्री रह चुके हैं जबकि सुनील बंसल ने यूपी समेत कई राज्यों का प्रभार संभाला है और सफलता भी दिलाई है. उन्होंने कॉल सेंटर का प्रभार भी संभाला और पार्टी के लिए फीडबैक भी लिया.
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