केरल के मशहूर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर आरएसएस की तरफ से स्टेटमेंट जारी हुआ है. जिसके मुताबिक, श्रद्धालुओं की भावनाओं का ख्याल करते हुए धार्मिक गुरुओं और सामुदायिक नेताओं से चर्चा करके इस सम्बंध में न्यायिक विकल्पों पर आरएसएस विचार करेगी.
नई दिल्ली. केरल के मशहूर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर केरल सरकार ने साफ कर दिया था कि वो सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, उसके खिलाफ कोई रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेगी. लेकिन केरल सरकार के बाद अब आरएसएस की तरफ से स्टेटमेंट जारी हुआ है कि आरएसएस श्रद्धालुओं की भावनाओं का ख्याल करते हुए धार्मिक गुरुओं और सामुदायिक नेताओं से चर्चा करके इस सम्बंध में न्यायिक विकल्पों पर विचार करेगी, जो जाहिर है रिव्यू पिटीशन ही होगी.
सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल तक की महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता था, क्योंकि परम्परा के मुताबिक अयप्पन देवता की इच्छा से ऐसा किया गया था. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में इस परम्परा के खिलाफ याचिका दायर हुई तो 27 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में बड़ा फैसला दिया और इस परम्परा पर रोक लगाते हुए हर उम्र की महिला को मंदिर के गर्भ गृह में जाने की अनुमति दे दी.
सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केरल सरकार ने महिला श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए और ये बयान दिया कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कोई रिव्यू पिटीशन दायर नहीं की जाएगी, तो 2 अक्टूबर को 4000 महिला श्रद्धालुओं ने केरल की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और कहा कि पुरानी परम्पराओं को हम अपनी इच्छा से मानते हैं, केरल सरकार से मांग की कि रिव्यू पिटीशन दायर की जाए.
अब राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ पूरे एक हफ्ते बाद इस केस में सक्रिय हुआ है और साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी सम्मान करना है लेकिन करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का सवाल है, ऐसे में धर्मगुरूओं से भी बातचीत कर न्यायिक विकल्प ढूंढे जाएंगे. आरएसएस के सर कार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी का ये स्टेटमेंट आप यहां पढ़ सकते हैं-
Statement by Sarkaryavah, Suresh (Bhaiyyaji) Joshi on the recent Supreme court judgement on Sabarimala Devasthanam.https://t.co/vnjCMJW76n
— RSS (@RSSorg) October 3, 2018