नई दिल्लीः Ayodhya Ram Mandir Dispute: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला अब तूल पकड़ता ही जा रहा है. 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले में की सुनवाई हुई. महज तीन मिनट चली सुनवाई में केस की अगली तारीख जनवरी 2019 तय कर दी गई. उसी दिन सोशल मीडिया पर राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार से अध्यादेश लाए जाने की मांग की जाने लगी. अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण की बात कही है. इससे एक कदम और आगे बढ़ाते हुए बीजेपी से राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा है कि वह राम मंदिर बनाने के लिए संसद में प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आएंगे.
आरएसएस की ओर से बुधवार को कहा गया कि सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में जमीन अधिग्रहण को लेकर कानून बनाना चाहिए. यह ठीक उसी तरह होना चाहिए जिस तरह देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था. केंद्र सरकार को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन का अधिग्रहण करना चाहिए और इसे निर्माण के लिए इससे जुड़ी संस्थाओं को सौंप देना चाहिए. इसके साथ ही आरएसएस ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वक्त आ गया कि 1994 में यूपी हाईकोर्ट में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा अदालत में किए गए वादों को पूरा किया जाए.
संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि यह मुद्दा अदालत में पिछले काफी समय से लंबित है. अब मुद्दा जमीन अधिग्रहण करने और मंदिर निर्माण के लिए इसे सौंपने का है. दूसरी ओर बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि वह इस मुद्दे पर संसद में प्राइवेट मेंबर बिल ला सकते हैं. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को ट्विटर पर टैग करते हुए पूछा, ‘जो लोग बीजेपी और आरएसएस को उलाहना देते रहते हैं कि राम मंदिर की तारीख बताए उनसे सीधा सवाल क्या वे मेरे प्राइवेट मेंबर बिल का समर्थन करेंगे? समय आ गया है दूध का दूध पानी का पानी करने का.’
क्या होता है ‘प्राइवेट मेंबर बिल’ जिसे संसद में पेश करने की बात कर रहे हैं बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा?
संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के जो सदस्य (सांसद) केंद्र सरकार में मंत्री नहीं होते हैं, वह निजी सदस्य कहलाते हैं. निजी सदस्यों की ओर से सदन में पेश किए गए विधेयक निजी विधेयक या प्राइवेट बिल कहलाते हैं. इनके सदन में पास होने की संभावना बेहद कम होती है. सत्र के दौरान हर शुक्रवार को संसदीय कार्यवाही के आखिरी करीब दो घंटों का समय प्राइवेट बिल के लिए होता है.
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