RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- मुस्लिम भी हमारे, संघ के लिए कोई पराया नहीं

लखनऊ: सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे समाज को संगठित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि संघ के लिए कोई पराया नहीं है। मोहन भागवत ने जोर देकर कहा कि मुसलमान भी हमसे अलग नहीं हैं, वह भी हमारे हैं। भारत जितना हमारा है उतना ही उनका भी है। लोकसभा चुनाव […]

Advertisement
RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- मुस्लिम भी हमारे, संघ के लिए कोई पराया नहीं

Arpit Shukla

  • September 26, 2023 11:32 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

लखनऊ: सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे समाज को संगठित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि संघ के लिए कोई पराया नहीं है। मोहन भागवत ने जोर देकर कहा कि मुसलमान भी हमसे अलग नहीं हैं, वह भी हमारे हैं। भारत जितना हमारा है उतना ही उनका भी है।

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी संघ प्रमुख का दौरा काफी अहम

उन्होंने कहा कि इस बात पर अवश्य नजर रखी जाएगी कि किसी के विरोध से संघ का कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है। अवध प्रांत के चार दिन के दौरे पर गए भागवत ने लखनऊ में अनुषांगिक संगठनों के साथ बैठक में कई मुद्दों पर भविष्य की रणनीति तैयार की। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी संघ प्रमुख का दौरा काफी अहम है। उन्होंने लव जिहाद और धर्मांतरण समेत तमाम मुद्दों पर बीजेपी को और संजीदा होकर काम करने की सलाह भी दी है।

संघ के साथ जुड़ने की अपील

उन्होंने दौरे के अंतिम दिन निराला नगर स्थित सरस्वती कुंज में प्रबुद्ध नागरिकों के साथ मीटिंग की। उन्होंने कहा कि संघ सर्व लोकयुक्त भारत को मानने वाला है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा प्रयास रहता है कि अधिक से अधिक लोगों को संघ के साथ जोड़ कर उन्नत राष्ट्र की नींव को और मजबूत किया जाए। साथ ही उन्होंने समाज के उत्थान के लिए स्वयंसेवकों के द्वारा किए जा रहे कार्यों का हवाला देते हुए सभी को संघ के साथ जुड़ने की अपील की।

बच्चों में संस्कारों की कमी पर जताई चिंता

संघ प्रमुख भागवत ने बच्चों में संस्कारों की हो रही कमी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मोबाइल के कारण हमारे बच्चे अपने संस्कारों से दूर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनका बचपन खराब हो रहा है। अध्यापक, अभिभावक व चिकित्सक इस गंभीर समस्या के समाधान का प्रयास करें। उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति में नैतिक शिक्षा को शामिल करने की सलाह दी गई है और कहा कि शिक्षा में तीन भाषा की नीति लागू होनी चाहिए। मातृ भाषा, भारतीय भाषा और एक अन्य भाषा को इसमें शामिल किया जा सकता है।

Advertisement