नई दिल्ली – रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 रुपये के नोटों की छपाई तो बहुत पहले बंद कर दी थी, इस सप्ताह 7 अक्टूबर को 2000 के नोटों की वैलिडिटी भी समाप्त हो जाएगी और इसके बाद ये नोट केबल कागज का टूकड़ा मात्र रह जाएगा. ये देश की इस सबसे बड़ी करेंसी है जिसको छापने में और इसको चलन से बाहर करने का आखिर क्या कारण रहा होगा. क्या इस नोट की छपाई की लागत पड़ती है मंहगी .
कितनी लगती है लागत
हर तरह के नोट की छपाई के लिए अलग अलग लागत लगती है. वैसे ही 2000 रुपये के नोट की छपाई के लिए हर नोट पर 4 रुपये का खर्च आता है. साल 2018 में 2000 रुपये का एक नोट छापने पर 4.18 रुपये का खर्चा आता था, फिर बाद में इसका खर्च गिरकर 3.53 रुपये हो गया था. 2018 के बाद से ही 2000 के नोट की छापई पर रोक लगा दी गई थी. और 2023 आते-आते इसके चलन पर भी रो लगा दी गई . 2023 के सितंबर 30 तक वापसी की तरीख रखी गई थी फिर इसे आगें बढ़ा कर 7 अक्टुबर कर दिया गया .
2000 के नोट क्यों हुए बंद
रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोटों को बंद करने के पीछे कारण बताए है. कि क्लीन नोट पॉलिसी के तहत इसे बंद करने का फैसला कर लिया गया. आरबीआई का कहना है कि लोग लेनदेन में 2000 रुपये के नोट का इस्तेमाल कम कर रहे हैं. 2000 नोट का ज्यादातर इस्तेमाल सिर्फ बड़े लेनदेन में ही किया जाता था. आरबीआई ने 2018-19 से ही 2000 के नोट छापने बंद कर दिए हैं और साथ ही एटीएम में भी 2000 के नोट नहीं डाले जाते है और अब इसे चलने से रोक दिया है.
सबसे ज्यादा लागत लगती है
बाता दे कि 10 रुपये के नोट में लगती है सबसे जदा लागत है. 10 रुपये के 1000 नोट छापने में 960 रुपये का खर्च आता है. इसका मतलब कि नोट के मुल्य से जदा इसकी छपाई की है.
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