नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों जे. चेलामेश्वर, राजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसफ की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर रिटायर्ड जस्टिस सोढी ने कहा है कि चारों जजों के खिलाफ महाभियोग अभियान चलना चाहिए. उन्होंने जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर प्रतिक्रया देते हुए कहा कि मुझे लगता है कि इन चारों को अब वहां बैठने का कोई अधिकार नहीं है. लोकतंत्र खतरे में है तो उसके लिए पुलिस प्रशासन है. यह उनका काम नहीं है. इस मुद्दे से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. यह प्रशासनिक मामले पर उनकी शिकायत है. वे चार लोग हैं जबकि वहां 23 और लोग भी हैं.चारों ने साथ मिलकर यह दिखाने की कोशिश की है कि मुख्यन्यायाधीश कमजोर है. जो कि अपरिपक्व और बचकाना व्यवहार है.
बता दें कि शुक्रवार को भारत के न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने मीडिया के सामने अपनी बात रखी हो. जजों द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही गड़वड़ियों की शिकायत कई बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से की गई लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हुई. चार जजों में से एक जस्टिस चेलामेश्वर में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि ये एक असाधारण घटना है कि हम सीधे मीडिया से बात कर रहे हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया था कि न्यायपालिका की निष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन हम नहीं चाहते कि 20 साल हम पर कोई आरोप लगे. जजों ने कहा कि हमने न्यायिक अनियमित्ताओं पर CJI से बात की थी. हमारे पास मीडिया के सामने आने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था. मुख्य न्यायाधीश पर देश को फैसला करना है.न्यायपालिका को बचाना जरूरी नहीं तो देश के लोकतंत्र को बचाना बहुत मुश्किल होगा.
देश के इतिहास में पहली बार हुई सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस की दस बड़ी बातें
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