नई दिल्ली. खाने का सामान महंगा होने से खुदरा महंगाई दर अगस्त महीने में बढ़कर सात फीसदी पर पहुँच गई है, वहीं सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के जरिए ये जानकारी मिली है. एक महीने पहले जुलाई में यह खुदरा महंगाई 6.71 फीसदी रही थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने रिजर्व के […]
नई दिल्ली. खाने का सामान महंगा होने से खुदरा महंगाई दर अगस्त महीने में बढ़कर सात फीसदी पर पहुँच गई है, वहीं सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के जरिए ये जानकारी मिली है. एक महीने पहले जुलाई में यह खुदरा महंगाई 6.71 फीसदी रही थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने रिजर्व के संतोषजनक स्तर की ऊपरी सीमा से ऊंची बनी हुई है, वहीं सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई दो फीसदी से छह फीसदी के बीच रखने की जिम्मेदारी दी हुई है.
जुलाई लगातार सातवां महीना है, जब खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय किए गए आंकड़ों के ऊपर बनी हुई है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), अपनी द्विमासिक मॉनेटरी पॉलिसी को तय करते समय सीपीआई आधारित महंगाई को ही मुख्य तौर पर रखता है, वहीं आरबीआई को सरकार ने इसे 4 फीसदी पर रखने को कहा है, जिसके साथ दोनों तरफ 2 फीसदी का टॉलरेंस बैंड दिया गया है. जुलाई महीने में भी यह आंकड़ा आरबीआई के 6 फीसदी के टॉलरेंस लेवल से ज्यादा रहा था, बता दें कि सीपीआई बेस्ड खुदरा महंगाई पिछले आठ महीनों से 6 फीसदी के आंकड़े के ऊपर बनी हुई है.
मौजूदा वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में, खुदरा महंगाई 7 फीसदी से ज्यादा रही थी.
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई दर के अपने अनुमान को 5.7 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर दिया है, वहीं सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ रखने के लिए अनिवार्य किया है, बता दें आरबीआई ने खुदरा महंगाई का लक्ष्य 6 फीसदी रखा था.
CPI मई के महीने में खुदरा महंगाई दर 7.04 फीसदी रही थी, वहीं अप्रैल के महीने में खुदरा मंहगाई दर 7.79 फीसदी रही थी. गौरतलब है, CPI आधारित मुद्रास्फीति मई में 7.04 प्रतिशत, अप्रैल में 7.79 प्रतिशत, मार्च में 6.95 प्रतिशत, फरवरी में 6.07 प्रतिशत और जनवरी में 6.01 प्रतिशत रही थी.’
सोनाली फोगाट हत्या की सीबीआई जांच के लिए गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखेंगे प्रमोद सावंत