सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन हो गया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच में जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आर.एफ. नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा हैं. बेंच इस पर भी विचार करेगी कि SC-ST वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण के इस मुद्दे पर सात न्यायाधीशों की पीठ को पुनर्विचार करने की जरूरत है या नहीं.
नई दिल्लीः सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन हो गया है. यह पीठ 3 अगस्त को अपने 12 साल पुराने फैसले की समीक्षा करेगी. पांच न्यायाधीशों की यह बेंच इस बात पर भी विचार करेगी कि SC-ST वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण के इस मुद्दे पर सात न्यायाधीशों की पीठ को पुनर्विचार करने की जरूरत है या नहीं.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली यह संविधान पीठ शुक्रवार को मामले में सुनवाई करेगी. संविधान पीठ में CJI दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आर.एफ. नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा हैं. संविधान पीठ सरकारी नौकरियों की पदोन्नति में ‘क्रीमी लेयर’ के लिए एससी-एसटी आरक्षण के मुद्दे पर अपने 12 साल पुराने फैसले की समीक्षा करेगी.
बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने बीती 11 जुलाई को अपने साल 2006 को सुनाए गए फैसले के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया था. उस समय कोर्ट ने कहा था कि पांच सदस्यीय पीठ पहले यह देखेगी कि इस मामले में 7 सदस्यीय बेंच द्वारा सुनवाई की जरूरत है या नहीं. कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि वह सिर्फ अंतरिम राहत के मकसद से इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती, क्योंकि यह मामला पहले ही संविधान पीठ के पास भेजा जा चुका है.
गौरतलब है कि 2006 को सुनाए गए एम नागराज फैसले में कहा गया था कि ‘क्रीमी लेयर’ की अवधारणा को सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में एससी-एसटी वर्ग के आरक्षण के लिए लागू नहीं किया जा सकता.