नई दिल्ली। अगर आप नई कार या नई बाइक खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो अपना बजट बढ़ा लें. वाहन निर्माता जहां लागत मूल्य में बढ़ोतरी का हवाला देकर साल में 2-3 बार वाहनों के दाम बढ़ा रहे हैं, वहीं अब आरबीआई यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी रेपो रेट और ब्याज दर […]
नई दिल्ली। अगर आप नई कार या नई बाइक खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो अपना बजट बढ़ा लें. वाहन निर्माता जहां लागत मूल्य में बढ़ोतरी का हवाला देकर साल में 2-3 बार वाहनों के दाम बढ़ा रहे हैं, वहीं अब आरबीआई यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी रेपो रेट और ब्याज दर में 40 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है. बीपीएस (बेसिक प्वाइंट) बढ़ा दिया गया है. इससे लोन पर खरीदे गए वाहनों की किस्त ग्राहकों के लिए महंगी होगी. साफ है कि अब आम आदमी के लिए बाइक या कार खरीदना और महंगा हो गया है.
रेपो रेट बढ़ने की खबरों से कई सेक्टर प्रभावित होने वाले हैं, लेकिन ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की चिंता थोड़ी बढ़ गई है. FADA के अध्यक्ष, विंकेश गुलाटी ने कहा, “RBI द्वारा रेपो दर में 40 बीपीएस की वृद्धि ने सभी के लिए ऑटो ऋण लेना महंगा बना दिया है. जहां लंबी प्रतीक्षा अवधि के कारण यात्री वाहन खंड को यह झटका लग सकता है ,वहीं टू-व्हीलर सेगमेंट ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन ना कर पाने की वजह से और टू-व्हीलर्स की कीमत बढ़ जाने के बाद अब रेपो रेट बढ़ने से इनके लिए लोन लेना भी अब महंगा हो गया है.”
रेपो रेट आरबीआई द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को दी जाने वाली राशि है. इसमें बढ़ोतरी का मतलब ब्याज दर में बढ़ोतरी है जिससे लोगों की ईएमआई पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी. पिछली बार अगस्त 2018 में रेपो रेट को बढ़ाकर 4 फीसदी किया गया था, जिसे करीब 4 साल बाद अब बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया गया है.
जिस तरह रेपो दर आरबीआई द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को दी जाने वाली राशि है, उसी तरह नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दी जाने वाली राशि है. सीआरआर जितना अधिक होगा, बैंक आम लोगों पर उतना ही कम बोझ डालेंगे. बता दें कि बुधवार को सीआरआर में भी 50 बेसिक प्वाइंट का इजाफा हुआ है, जिसके बाद यह बढ़कर 4.50 फीसदी हो गया है.
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