Delhi High Court: पत्नी को गुजारा भत्ता देने में किया आनाकानी तो खैर नहीं, दिल्ली HC ने दिया अहम आदेश

नई दिल्ली: कानूनी रूप से तलाक लेकर अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने में आनाकानी करने वालों की परेशानी बढ़ने वाली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने हालिया आदेश में इसे लेकर बड़ी बात कही है. कोर्ट ने एक व्यक्ति पर पत्नी को गुजारा भत्ता देने में देरी करने और उसके ग्रेजुएट होने को […]

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Delhi High Court: पत्नी को गुजारा भत्ता देने में किया आनाकानी तो खैर नहीं, दिल्ली HC ने दिया अहम आदेश

Vaibhav Mishra

  • October 26, 2023 12:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: कानूनी रूप से तलाक लेकर अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता देने में आनाकानी करने वालों की परेशानी बढ़ने वाली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने हालिया आदेश में इसे लेकर बड़ी बात कही है. कोर्ट ने एक व्यक्ति पर पत्नी को गुजारा भत्ता देने में देरी करने और उसके ग्रेजुएट होने को आधार बनाकर टाल मटोल करने को लेकर जुर्माना लगाया गया है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहा?

पति-पत्नी के गुजारा भत्ता से जुड़े हुए एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा है कि अगर पत्नी ग्रेजुएट है तो इसका यह मतलब नहीं है कि उसको नौकरी करने के लिए मजबूर किया जाए.

पति ने हाईकोर्ट से की थी ये अपील

बता दें कि एक व्यक्ति ने अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता के रूप में 25 हजार रुपये देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. शख्स ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में याचिका लगाकर भत्ते को 25 हजार रूपए से कम कर 15 हजार रुपये करने का अनुरोध किया था. पति ने तर्क दिया था कि उसकी पत्नी साइंस से ग्रेजुएट है और सिर्फ गुजारा भत्ता लेने के लिए जानबूझकर नौकरी नहीं करना चाहती है.

नौकरी के लिए मजबूर नहीं कर सकते

जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह सही है की महिला साइंस से ग्रेजुएट है लेकिन वह लाभप्रद रोजगार नहीं हासिल कर पाई है. इसलिए उच्च न्यायालय फैमिली कोर्ट की ओर से उसे 25 हजार रुपये का गुजारा भत्ता देने के आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. कोर्ट ने आगे कहा कि इस बात का कोई तुक नहीं बनता कि महिला ग्रेजुएट है तो उसे नौकरी करने के लिए मजबूर होना पड़े. इसके साथ ही यह भी नहीं माना जा सकता है कि वह सिर्फ पति से गुजारा भत्ता पाने के लिए जानबूझकर नौकरी नहीं करना चाहती है.

पत्नी की मांग भी मानने से किया इनकार

बता दें कि महिला द्वारा अपने लिए गुजारा भत्ता की राशि 25 हजार से राशि बढ़ाने की मांग को भी हाईकोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट ने पति के पक्ष में भी एक फैसला सुनाया और फैमिली कोर्ट के उस आदेश को जुर्माने वाले आदेश को रद्द कर दिया. गौरतलब है कि फैमिली कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने में हुई देरी पर प्रतिदिन एक हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर गुजारा भत्ते देने में देरी होती है तो पति को प्रतिवर्ष 6 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा.

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