नई दिल्ली. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों के लिए राहत की खबर है. बताया जा रहा है कि पुनर्भुगतान यानि कि रीइंबर्समेंट का बड़ा हिस्सा टैक्स के दायरे में नहीं आएगा. इसमें घर का किराया, टेलीफोन बिल, हेल्थ इंश्योरेंस, हेल्थ चेकअप, जिम इत्यादि शामिल हैं. अगर रीइंबर्समेंट के बड़े हिस्से को टैक्स के दायरे में लाया जाता तो प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों की जेब पर बड़ा असर पड़ सकता था. बता दें कि हाल ही में अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग(AAR) ने फैसला किया था कि कर्मचारियों के कैंटीन चार्जेज भी GST के दायरे में है. पहले भी इसे टैक्स बचाने के लिए प्रयोग किया जा रहा था जिसके बाद ये फैसला हुआ था. अगर रीइंबर्समेंट को जीएसटी के दायरे में लाया जाता तो इससे लोगों के सैलरी पैकेज पर भी असर पड़ सकता था.
गौरतलब है कि कुछ समय पहले केरल की एक फुटवीयर कंपनी के मामले में अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग(AAR) ने फैसला दिया था कि कर्मचारियों के फूड बिल जीएसटी के तहत टैक्स के दायरे में आते हैं. बताते चलें कि जीएसटी से जुड़े सभी फैसले जीएसटी काउंसिल करती है. AAR का फैसला जीएसटी काउंसिल के लिए बाध्यकारी नहीं है.
AAR वित्त मंत्रालय के भीतर आता है जिसका अधिकतर काम इनकम टैक्स विभाग से संबंधित होता है. ऐसा माना जा रहा था कि अगर रीइंबर्समेंट को जीएसटी के दायरे में लाया जाता तो प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता.
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