नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उच्च मूल्य के नोटों के प्रचलन को बंद करने का फैसला ले लिया है. अब तक बैंकों के पास 2000 रुपए के 76 फीसद नोट लौट आए हैं. इस बात की जानकारी खुद RBI ने दी है. दरअसल 19 मई 2023 को आरबीआई ने 2000 नोटों को वापस लेने का ऐलान किया था. इस दौरान प्रचलन में मौजूद सभी 2000 के नोट बैंकों में वापस लौट रहे हैं.
Delhi HC dismisses plea challenging RBI's decision to withdraw Rs 2000 note from circulation
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— ANI Digital (@ani_digital) July 3, 2023
RBI ने बताया कि अब तक कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों में वापस लौट चुके हैं. नोट बंद करने के ऐलान के बाद से अब तक बैंकें के पास कुल 2.72 लाख करोड़ रुपये के नोट वापस आ चुके हैं. RBI द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अब तक 0.84 लाख करोड़ रुपये के नोट आना बाकी है.
ऐसे में आपको भी जानकर हैरानी होगी कि आज RBI जिन 2 हजार के नोटों को अधिक वैल्यू का बता रहा है कभी उसी RBI ने 5000 रुपये और 10000 रुपये के बड़े नोट छपने की शिफारिश की थी. दरअसल अक्टूबर 2014 में भारतीय रिज़र्व बैंक के अध्यक्ष रहे रघुराम राजन ने ये सुझाव दिया था. उन्होंने 5000 रुपये और 10000 रुपये के बड़े नोट को छापने की सिफारिश की थी जिसे रद्द कर दिया गया है. इसके पीछे रघुराम राजन ने दलील दी थी कि बढ़ती महंगाई की वजह से एक हजार रुपए के नोटों की कीमत कम हो गई है. बेकाबू महंगाई पर काबू पाने के लिए बड़े नोट छपने चाहिए.
सेंट्रल बैंक RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अक्टूबर 2014 में मोदी सरकार को 5 हजार और 10 हजार के नोट छापने की सलाह दी थी। आरबीआई गवर्नर के इस सुझाव को सरकार ने मानने से इंकार कर दिया है। उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार ने इस सिफारिश को खारिज कर दिया क्योंकि वह रीप्लेसमेंट करंसी जल्द चाहती थी, इसलिए सरकार ने 2 हजार रुपए के नोट जारी करने का फैसला लिया गया। हालांकि बाद में साल 2015 में रघुराम राजन ने खुद कहा था कि बड़े मूल्यवर्ग के नोटों के साथ जालसाजी का डर रहता है। जिसके चलते इसे रखना मुश्किल होता है। बड़े नोटों के साथ काला बाजारी आसान हो जाती है। भारत के पड़ोसी देशों से नकदी नोटों की जालसाजी आसान हो जाती है।