RBI Keeps Repo Rate Unchanged: भारतीय रिजर्व बैंक ने पांचवीं द्वमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है. रेपो रेट पहले की ही तरह 6.5 पर बनी रहेगी. साथ ही रिवर्स रेपो रेट 6.25 प्रतिशत बना रहेगा. आरबीआई के इस फैसले से ईएमआई भरने वाले लोगों को निराशा हुई है. पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि रेपो रेट में कटौती की जाएगी.
नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को आयोजित मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है. पहले की ही तरह रेपो रेट 6.5 बना रहेगा वहीं रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी बरकरार रहेगा. आरबीआई ने साल 2018 की पांचवीं द्वमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद यह फैसला लिया. तीन दिनों तक चली इस बैठक में आरबीआई चालू वित वर्ष के लिए विकास दर 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगयाा है. आरबीआई के इस फैसले से ईएमआई भरने वाले लोगों को झटका लगा है. बतादें कि मीटिंग से पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि आरबीआई रेपो रेट में कटौती कर सकता है.
क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है. आरबीआई के मिले कर्ज से ही अन्य बैंक ग्राहकों को ऋण देते हैं. वहीं रिवर्स रेपो रेट इसका ठीक उलट होता है. रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई जमा धन पर ब्याज देती है. बताते चले कि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में आरबीआई और अन्य बैंकों के बीच लेनदेन होता रहता है. एसबीआई, पीएनबी सहित अन्य बैंक आरबीआई से जिस दर पर कर्ज लेती है वो रेपो रेट होता है. जबकि एसबीआई, सेंन्ट्रल बैंक, पीएनबी सहित अन्य भारतीय बैंकों को आरबीआई जिस दर पर जमा राशि का ब्याज देता है वह रिवर्स रेपो रेट कहालाता है.
आम लोगों पर क्या पड़ता है इसका प्रभाव
जब आरबीआई रेपो रेट को कम करती है तो आम नागरिकों को बैंकों से मिलने वाला कर्ज सस्ता मिलता है. अब जबकि आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है तो आम नागरिकों को किसी भी प्रकार के लोन में कोई कटौती नहीं मिलेगी. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की छह सदस्यीय समिति की बैठक तीन दिसंबर से जारी थी. जिसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है.
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