नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना के 89 वर्ष पूरे हो गए हैं। RBI की स्थापना साल 1935 में 1 अप्रैल के दिन ही हुई थी। रिजर्व बैंक पूरे देश में बैंकिंग सिस्टम को रेगुलेट करता है। कैसे हुई थी भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना? भारत में केंद्रीय बैंक 1947 से पहले ही […]
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना के 89 वर्ष पूरे हो गए हैं। RBI की स्थापना साल 1935 में 1 अप्रैल के दिन ही हुई थी। रिजर्व बैंक पूरे देश में बैंकिंग सिस्टम को रेगुलेट करता है।
भारत में केंद्रीय बैंक 1947 से पहले ही अस्तित्व में आ गया था। इसकी स्थापना हिल्टन यंग कमीशन के सुझाव पर अंग्रेजों ने करवाई थी। उस समय रिजर्व बैंक की स्थापना के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 लाया गया था और 1 अप्रैल 1935 से रिजर्व बैंक ने देश के केंद्रीय बैंक के रूप में काम करना शुरू कर दिया था।
1935 से अंग्रेजों के पास भारत में बैंकिंग सिस्टम को रेगुलेट करने के लिए मुख्यता दो अलग-अलग संस्थाएं थी, जिसमें कंट्रोलर ऑफ करेंसी नोट छापती थी और वहीं, इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया सरकारी खाते और कर्ज का हिसाब-किताब का ब्यौरा रखती थी। वहीं, ww1 के बाद आर्थिक कारणों के चलते इन दोनों संस्थाओं को एक साथ चलाना काफी मुश्किल था, इस वजह से हिल्टन यंग कमीशन ने रिजर्व बैंक की स्थापना का सुझाव दिया। रिजर्व बैंक की स्थापना के वक्त इसका मुख्यालय कोलकाता में था।
वर्ष 1931 में हुए गोलमेज सम्मलेन में पहली बार सेंट्रल बैंक बनाने की मांग उठी थी। इसी सम्मलेन के बाद सेंट्रल बैंक की स्थापना के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। काफी बैठको के बाद साल 1935 में पांच करोड़ की नकद राशि के साथ RBI का गठन हुआ। इसमें मात्र दो लाख बीस हजार रुपये ही सरकार ने दिए थे। इसका मतलब यह रिजर्व बैंक पूरी तरह से एक निजी बैंक था, जिसका नियंत्रण बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास था। WW2 के वक्त जब कई बैंकों का राष्ट्रीयकरण होना शुरू हुआ, तब इसी दौरान वर्ष 1945 में बैंक ऑफ इंग्लैंड का भी राष्ट्रीयकरण हुआ। जिसके कुछ सालों बाद 1949 में RBI का भी राष्ट्रीयकरण हो गया।
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