RBI Deputy Governor on Government Interference: RBI डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य बोले- जो सरकार केंद्रीय बैंक को काम की आजादी नहीं देती, वो वित्तीय बाजार की नाराजगी सहती है

RBI Deputy Governor on Government Interference: भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने बयान देते हुए कहा है कि केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता का सम्मान जो सरकार नहीं करती उसे वित्तीय बाजार की नाराजगी सहनी पड़ती है. आगे उन्होंने कहा कि जो सरकार केंद्रीय बैंक को काम की आजादी देती है, उसे कम लागत पर उधारी और अंतराष्ट्रीय निवेशकों का प्रेम मिलता है.

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RBI Deputy Governor on Government Interference: RBI डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य बोले- जो सरकार केंद्रीय बैंक को काम की आजादी नहीं देती, वो वित्तीय बाजार की नाराजगी सहती है

Aanchal Pandey

  • October 26, 2018 11:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि जो सरकार केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करती है उसे वित्तीय बाजार की नाराजगी सहनी पड़ती है. डिप्टी गवर्नर ने आगे कहा कि जो सरकार केंद्रीय बैंक को आजादी से काम करने देती है, उस सरकार को कम लागत पर उधारी और इंटरनेशनल निवेशकों का प्यार मिलता है. उन्होंने आगे कहा कि ऐसी सरकार का कार्यकाल भी लंबा रहता है.

डिप्टी गवर्नर ने आगे कहा कि आईबीआई ने मौद्रिक नीति ढांजे से संबंधित मामलों में अच्छी प्रगति की है. जीएसटी और दिवालिया संहिता में भी आरबीआई अच्छा रहा है. लेकिन रिजर्व बैंक की स्वायत्तता बरकरार रखने में कुछ जरूरी क्षेत्र हैं जो अभी कमजोर हैं. विश्व बैंक और आईएमएफ ने इन्हीं कुछ क्षेत्रों को भारत रिपोर्ट में भी शामिल किया गया है. आचार्य ने आगे कहा कि सबसे जरूरी यह है कि आरबीआई के पास सरकारी बैंकों पर कार्रवाई करने के सीमित अधिकार हैं.

विरल आचार्य ने आगे कहा कि अर्थव्यावस्था के कई जरूरी कार्यों को केंद्रीय बैंक अंजाम देता है. आरबीआई ना केवल मुद्रा की आपूर्ति का नियंत्रण औप लोन, उधारी पर ब्याज दर भी तय करता है. इसके साथ ही वित्तीय बाजारों पर निगरानी रख नियमन करता है. डिप्टी गवर्नर ने आगे कहा कि दुनियाभर में केंद्रीय बैंकों का नेतृत्व करने वाले का चुनाव नहीं होता बल्कि सरकार उन्हें नियुक्त करती है. सरकार की निर्णय प्रकिया टी 20 मैच जैसी होती है जिसमें चुनाव जैसी कई मजबूरियां शामिल होती हैं. वहीं केंद्रीय बैंक टेस्ट मैच जैसी भूमिका निभाता है जिस पर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं होता है.

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