नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत के अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने कुल 1016617 करोड़ रुपये की वसूली पिछले नौ वित्त वर्षों में की है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में वित्तीय संस्थानों और बैंकों की 20 करोड़ रुपये या उससे अधिक फंसे कर्ज़ों की मात्रा घटी है.
बीते नौ वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक रकम की वसूली कर सरकार और आरबीआई के द्वारा किए गए उपायों से फंसे कर्जों का बोझ कम करने में सफलता प्राप्त हुई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आकलन के अनुसार पिछले पांच वर्षों में वित्तीय संस्थानों और बैंकों की 20 करोड़ रुपये या उससे अधिक फंसी कर्ज़ों की संख्या घटी है. वित्त वर्ष 2018-19 के अंत तक बकाया एनपीए का आकलन 709907 करोड़ रुपये था.
आंकड़ों के अनुसार, भारत के अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा बीते नौ वर्षों में पूर्ण रूप से 10,16,617 करोड़ रुपये की वसूली की गई है. सीआरआईएलसी (बड़े कर्जों से संबंधित आंकड़ों के केंद्रीय संग्राहक) के अनुसार, मार्च 2023 के अंत तक अधिसूचित बैंकों का 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा मात्रा की कर्ज वाली कंपनियों पर बकाया 1,03,975 करोड़ रुपये था.
भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से गठित सीआरआईएलसी कर्जदाताओं के कर्जों से संबंधित आंकड़ों को जमा, विश्लेषण और भंडारण करता है. साप्ताहिक आधार पर बैंकों के लिए आंकड़े देना अनिवार्य होता है.
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 के अंत तक बकाया एनपीए का आकलन 709907 करोड़ रुपये था. वहीं मार्च 2023 में यह संख्या घट कर ,66,491 करोड़ रुपये रह गई थी. वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने कुछ ही दिनों पहले जानकारी दी थी कि फंसे कर्जों की वसूली करने के लिए सरकार द्वारा कई संशोधन किए गए हैं. ऋण वसूली न्यायाधिकरण का क्षेत्राधिकार में बढ़ोतरी होकर 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये कर दिया गया है, इसके कारण ऋण वसूली न्यायाधिकरण अपना ध्यान अधिक मूल्य वाले मामलों पर केंद्रित कर पाएगी.