नई दिल्ली।भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या के बारे में तो सब जानते हैं मगर क्या आपको मालूम है कि बेहद विद्वान लंकापति रावण कहां का रहने वाला था और आज के समय वो जगह कहा है एंव वहां कि क्या स्थिति है? तो चलिए हम आपको बताते हैं उस गांव के बारे में जहां रावण […]
नई दिल्ली।भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या के बारे में तो सब जानते हैं मगर क्या आपको मालूम है कि बेहद विद्वान लंकापति रावण कहां का रहने वाला था और आज के समय वो जगह कहा है एंव वहां कि क्या स्थिति है? तो चलिए हम आपको बताते हैं उस गांव के बारे में जहां रावण का जन्म हुआ था साथ ही रावण के पिता विश्वश्रवा भी यहीं पैदा हुए थे. यहीं रहकर रावण ने भगवान शिव की आराधना की थी और उनसे वरदान भी प्राप्त किया था. उसके बाद युवावस्था में कुबैर से सोने की लंका लेने के लिए रावण यहां से रवाना हो गया था जिसके बाद यहां वापस लौटकर नहीं आया.
यहां हैं रावण का गांव
रावण का गांव दिल्ली-एनसीआर में ही है. उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित सेक्टर-1के पास बिसरख नामक गांव मौजूद हैं इसी को रावण का गांव कहा जाता है. यहां के लोगों का रहन-सहन सामान्य है , मगर यहां सभी काफी समृद्ध हैं. जिस रावण को बुराई का एक रूप माना जाता है. उसी रावण को इस गांव में पूजा जाता है और कामना कि जाती है कि उसके जैसा विद्वान बालक उन्हें भी मिले.
यहां नहीं होता रावण दहन
जहां दशहरे के दिन पूरे देश में विजय दशमी मानाई जाती है रावण समेत कुंभकर्ण, मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं वहीं बिसरख में इससे बिल्कुल उल्टा होता है यहां कहीं भी रावण दहन नहीं किया जाता है और दशहरे पर रावण को बेटा मान कर याद किया जाता है. यहां की महिलाएं इस दिन अष्टकोणीय शिवलिंग की पूजा करने आती हैं. ये वही शिवलिंग है जिसकी आराधना करके रावण ने भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया था.
रावण का पुतला जलाने हुई थी अकाल मौत
गांव के लोगों का कहना है कि रावण बहुत विद्वान और भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था. यहां के लोग राम को भी अच्छा मानते हैं मगर रावण को बेटा मानते हैं. उनका कहना है ये रावण की जन्म भूमि है वह यहां पैदा हुआ था, यहीं बड़ा हुआ. दशहरे के दिन यहां रावण का पुतला कोई नहीं जलाता और एक बार किसी ने बहुत साल पहले रावण का पुतला जलाया था वहीं उसकी अकाल मौतें हो गईं. उसी के साथ कई अकाल मौतें भी हुई. उस दिन के बाद से इस दिन शोक मनाते हैं तथा मंदिर में पूजा आराधना करते हैं.
ना रामलीला, ना रामायण पाठ किया जाता है
गांव वासीयों का कहना हैं कि यहां रामलीला या रामायण का कभी भी पाठ नहीं कराया जाता. ऐसी मान्यता है अगर कोई रामायण का पाठ कराता है तो हादसे होने लगते हैं और लोगों की मौतें भी होने लगती हैं. यहां कोई ये भी नहीं कहता कि रावण कोई दोष भी था