नई दिल्ली। अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) समारोह होने में कुछ ही दिन शेष हैं। खबर के अनुसार, इस समारोह से चारों शंकराचार्य दूर रहेंगे। वहीं विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने गुरुवार को कहा कि द्वारका और श्रृंगेरी शंकराचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का स्वागत […]
नई दिल्ली। अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) समारोह होने में कुछ ही दिन शेष हैं। खबर के अनुसार, इस समारोह से चारों शंकराचार्य दूर रहेंगे। वहीं विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने गुरुवार को कहा कि द्वारका और श्रृंगेरी शंकराचार्यों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि पुरी शंकराचार्य भी इस समारोह के पक्ष में हैं। विहिप नेता ने बताया, उन्होंने कहा है कि वे उचित समय पर रामलला के दर्शन के लिए आएंगे।
दरअसल, मीडिया रिपोट्स के अनुसार, आलोक कुमार ने बताया कि केवल ज्योतिर्पीठ शंकराचार्य ने समारोह के खिलाफ टिप्पणी की हैं। लेकिन बाकी के तीन शंकराचार्यों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके हवाले से दिए गए बयान भ्रामक थे क्योंकि वे समारोह के पूर्ण समर्थन में हैं। वहीं श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ और द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि यह सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए खुशी की बात है। साथ ही द्वारका पीठ ने एक लिखित बयान में कहा कि मीडिया के एक वर्ग में प्रकाशित बयान शंकराचार्य की अनुमति के बिना जारी किए गए हैं।
इसी प्रकार, श्रृंगेरी पीठ के एक बयान में कहा गया है कि कुछ सोशल मीडीया आउटलेट्स द्वारा ऐसे पोस्ट किए गए हैं, जिनसे ये आभास होता है कि शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) समारोह के खिलाफ हैं। इस बयान में कहा गया है कि श्रृंगेरी शंकराचार्य ने ऐसा कोई संदेश नहीं दिया है। यह धर्म के दुश्मनों का दुष्प्राचार है। श्रृंगेरी शंकराचार्य सभी अनुयायियों को इस पवित्र अवसर में भाग लेने का आशीर्वाद देते हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले एक वीडियो संदेश में जोशीमठ के ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था कि चारों शंकराचार्यों में से कोई भी अयोध्या में होने वाले समारोह में शामिल नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यह समारोह मंदिर के निर्माण कार्य पूरा होने से पहले किया जा रहा है। विमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि यह सुनिश्चित करना शंकराचार्यों का कर्तव्य है कि धार्मिक ग्रंथों सही से पालन किया जाए। पीएम मोदी मंदिर का उद्घाटन करेंगे, वह मूर्ति को छुएंगे, फिर मैं वहां क्या करूंगा? खडे़ होकर ताली बजाऊंगा?
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वहीं 4 जनवरी को पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने संवाददाताओं से कहा कि वह प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि, वह अपने पद की गरिमा के प्रति सचेत हैं। अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में वाराणसी में पीएम मोदी के खिलाफ राम राज्य परिषद के एक उम्मीदवार का समर्थन किया था। यही नहीं उनकी उम्मीदवारी के खारिज होने के बाद वह धरने पर बैठ गए थे।