नई दिल्ली: दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी घमासान तेज हो गया है. राजनीतिक बयानबाजी भी जारी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से जारी की गई पहली सूची में रमेश बिधूड़ी को कालकाजी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है, लेकिन इस बीच वह अपने एक बयान से सुर्खियों में आ गए हैं. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा को लेकर उनके बयान ने दिल्ली की सियासत गरमा दी है. हालांकि, वह पहले भी अपने कई बयानों को लेकर चर्चा में रह चुके हैं।
बीजेपी के दिग्गज नेताओं में गिने जाने वाले रमेश बिधूड़ी एक बार फिर सियासी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने दक्षिणी दिल्ली संसदीय सीट से दोबारा कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था. जबकि 2019 के चुनाव में वह इसी सीट से सांसद चुने गए थे. उन्होंने आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा और कांग्रेस उम्मीदवार विजेंदर सिंह (ओलंपिक पदक विजेता) को हराया।
मेश बिधूड़ी का जन्म दक्षिणी दिल्ली के ऐतिहासिक गांव तुगलकाबाद में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनका परिवार शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा रहा है। बिधूड़ी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र जीवन के दौरान ही कर दी थी. उन्हें शहीद भगत सिंह कॉलेज का केंद्रीय पार्षद और दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद का सदस्य चुना गया। वह वर्ष 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हुए।
बिधूड़ी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज (एम) से बी.कॉम किया। फिर उन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से कानून की डिग्री (एलएलबी) प्राप्त की। बाद में वह दिल्ली उच्च न्यायालय में वकील के रूप में काम करते रहे। छात्र जीवन के बाद वह 1993 में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए। तब से वह लगातार राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने कई धार्मिक और राजनीतिक संगठनों में प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1996 में महरौली जिले के जिला महासचिव के रूप में काम किया और महासंघ की धर्म यात्रा के राज्य सचिव के रूप में भी काम किया।
इसके बाद उन्हें बीजेपी का जिला अध्यक्ष बनाया गया. उन्होंने 1997 से 2003 तक पार्टी के जिला अध्यक्ष के रूप में काम किया। फिर वह 2003 से 2008 तक दिल्ली प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष रहे। इसके अलावा वह भाजपा के दिल्ली प्रदेश के महासचिव भी रहे। उन्होंने अपना चुनावी सफर साल 1993 से ही शुरू कर दिया था. तब उन्होंने दिल्ली की तुगलकाबाद सीट से चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे. 1998 में भी उन्हें हार मिली. लेकिन वह दूसरे स्थान पर आये. बिधूड़ी 2003 का चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। फिर 2008 में वह इसी सीट से विधायक चुने गये.
2013 के चुनाव में बिधूड़ी ने लगातार जीत की हैट्रिक बनाई. फिर उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़ा. 2014 के चुनाव में वह दिल्ली की दक्षिणी दिल्ली सीट से बीजेपी के उम्मीदवार बने और शानदार जीत हासिल की. फिर 2019 के चुनाव में उन्होंने दक्षिणी दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी के दिग्गज उम्मीदवार राघव चड्ढा और कांग्रेस के विजेंदर सिंह को हराया. 2024 के लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया.
वहीं कुछ महीनों बाद उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में हाई प्रोफाइल कालकाजी सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं इस सीट से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी चुनाव लड़ रही हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान रमेश बिधूड़ी ने अपने चुनावी हलफनामे में बताया था कि उनके पास 18 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. जबकि 20 लाख रुपये की देनदारी भी है. 2019 के हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ दो आपराधिक मामले भी लंबित थे. इससे पहले 2014 के संसदीय चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी संपत्ति 14.74 करोड़ रुपये घोषित की थी.
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