Ramayana: "रावण को हम गलत नहीं मानते ", श्रीलंकाई मंत्री ने जानें ऐसा क्यों कहा

नई दिल्ली: श्रीलंका सरकार के मंत्री ने कहा है कि रामायण भारत और श्रीलंका की संस्कृति है और रामायण ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में योगदान दिया है. बता दें कि श्रीलंका के मंत्री जीवन थोंडामन ने शुक्रवार को नई दिल्ली में नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में रामायण प्रदर्शनी का उद्घाटन किया है, और चित्रकाव्यम रामायणम नामक ये प्रदर्शनी 2 महीने तक चलेगी. बता दें कि कार्यक्रम के दौरान श्रीलंका के जल आपूर्ति मंत्री ने कहा है कि भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए लोगों के बीच संबंध बनाना बहुत महत्वपूर्ण हैं.

श्रीलंका के मंत्री जीवन थोंडामन ने कहा

जीवन थोंडामन ने कहा है कि “संस्कृति को संरक्षित करने के लिए कला एक बहुत शक्तिशाली माध्यम है” इन प्रदर्शनियों के माध्यम से ये स्पष्ट है कि रामायण भारत और श्रीलंका की साझा संस्कृति है, और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत भी करती है. दरअसल हमारे देश में रामायण के रावण को बुरा नहीं माना जाता है, और रावण एक कुशल प्रशासक था. साथ ही संत वाल्मिकी की रामायण में भी रावण को युद्ध के मैदान में धराशायी होते हुए देखा गया है, और फिर भी भगवान राम ने उनके साथ बैठकर कला और प्रबंधन का ज्ञान सीखा है, और इसलिए “हमें नहीं लगता कि रावण बुरा इंसान है”.

पर्यटकों को एक-दूसरे के देशों में जाने की मिलेगी अनुमति

प्रदर्शन का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और श्रीलंकाई मंत्री ने संयुक्त रूप से किया है. थोंडामन ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के 2022 के बयान का जिक्र करते हुए कहा है कि सॉफ्ट पावर, अर्थशास्त्र और राजनीति से परे संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, न केवल रामायण, बल्कि बौद्ध धार्मिक स्थल भी दोनों देशों के बीच संबंधों के लिए महत्वपूर्ण हैं. बता दें कि दोनों देशों में पर्यटन की भी काफी संभावनाएं हैं, और बेहतर वायु, समुद्री और कनेक्टिविटी से दोनों देशों के पर्यटकों को एक-दूसरे के देशों में जाने की अनुमति मिलेगी.

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